साइबर कर्मी मशीन को चैक करते हुए।
पंजाब के आज विभिन्न बड़े शहरों में डीजीपी साइबर क्राइम की तरफ से ‘साइबर सेफ्टी कियोस्क’ मशीनों को इंस्टॉल करवाया गया है। इन मशीनों से अब साइबर ठगी काफी रुक जाएगी। डिजीटल युग में लोगों की निजी जानकारियां फ्राड एप्प के जरिए हैकर पता कर लेते है और उनके
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फ्राड एप्प की मिलेगी सूचना
मोबाइलों में जो फ्राड एप्प पर लोगों द्वारा परमिशन दी होती है उस बारे लोगों को जानकारी मिल जाएगी और लोग उन परमिशन को आफ कर सकते है। आज लुधियाना में पुलिस कमिश्नर दफ्तर के सामने बने सिंगल विंडो हाल में इस मशीन को इंस्टॉल करवाया गया है। मशीन का उद्घाटन कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने किया। उनके साथ विशेष रूप से पुलिस कमिश्नर स्वपन शर्मा भी मौजूद थे।
मंत्री अरोड़ा ने कहा कि साइबर ठगी से बचाव करने के लिए लगातार लोगों को सरकार जागरूक कर रही है। आने वाले दिनों में इन मशीनों को बढ़ाया जाएगा।

मशीन आपरेट करता व्यक्ति।
क्या है ‘साइबर सेफ्टी कियोस्क’? इस कियोस्क को राष्ट्रीय विधि विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) द्वारा बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य मोबाइल फोन, पेन ड्राइव और अन्य स्टोरेज डिवाइस में मौजूद खतरनाक फाइलों और ऐप्स को स्कैन कर उनकी पहचान करना है।
मुख्य तौर पर ये मालवेयर, वायरस और बैकडोर जैसी खतरनाक फाइलों की पहचान करेगा, भारत सरकार द्वारा बैन किए गए ऐप्स का पता लगाएगा, संक्रमित एप्लिकेशन का सटीक लोकेशन बताएगा, एंड्रॉयड, आईफोन और विंडोज ऐप्स की गहराई से जांच भी करेगा और स्कैनिंग के बाद विस्तृत रिपोर्ट तक तैयार करेगा।
कैसे करेगा काम? उपयोगकर्ता अपने मोबाइल फोन या स्टोरेज डिवाइस को कियोस्क से USB के जरिए जोड़ेंगे। फिर मशीन स्कैनिंग कर वायरस और मालवेयर का पता लगाएगी। अगर डिवाइस में थ्रेट पाई गई, तो यूज़र को सतर्क किया जाएगा और कियोस्क के माध्यम से ही वायरस हटाने का विकल्प मिलेगा।