सरकार सरिस्का में फिर से मार्बल खानें शुरू करने की तैयारी में हैं। इसके लिए सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (CTH) एरिया को बढ़ाने/घटाने पर चर्चा चल रही है।
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अगर इस फैसले पर मुहर लगती है तो CTH फ्री एरिया में मार्बल की खदान वापस खुलने की पूरी–पूरी संभावना हो जाएगी। इस बदलाव को दो तरीकों से देखा जा रहा है।
खदानें खुलने से आस–पास रहने वाले लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं एक्सपट्र्स का कहना है कि डंपर के आने–जाने से टाइगर की जान को खतरा बढ़ जाएगा।
सरिस्का के पूर्व फील्ड डायरेक्टर सुनयन शर्मा ने ये दावा किया है कि ये एक साजिश है। सियासत की बात करें तो विपक्ष भी इस फैसले को वन प्रेमियों के खिलाफ और पर्यटन के लिए सही नहीं मान रहा।

समझिए क्या है पूरा मामला…
सरिस्का के 23 वन खंड CTH से फ्री
दरअसल, बाघ परियोजना सरिस्का का कुल क्षेत्रफल 1213 वर्ग किलोमीटर है। इसे दो हिस्सों CTH और बफर जोन में बांटा हुआ है। पिछले साल सरिस्का के टहला क्षेत्र के मल्लाना, तिलवाड़, खोहदरीबा और जयसिंहपुरा क्षेत्र को CTH (क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट) किया गया था।
अब वापस इन क्षेत्रों सहित छोटी छींड, बरवा डूंगरी, बलदेव गढ़, जयसिंहपुरा, कालवाड़, दबकन मैन, टहला मेन, खारियावास, सिलीबेरी, मीनाला, सावड़ी, लेकड़ी, टोडिया का बास, घाट, मुंडली, हाजीपुर, रामपुर, पिपलाई, नडौली, श्यामपुरा, मानावास को बफर जोन में कर दिया गया है।
3 वन खंड को बफर जोन में लिया, यहां टाइगर का मूवमेंट
सरिस्का के कुछ एरिया को बफर जोन से CTH में भी किया गया है। इसमें सीरावास, सैदावास, डडीकर के बड़े एरिया को बफर से CTH में शामिल किया गया है। प्रशासन ने माना है कि सीरावास में टाइगर ST 18, डडीकर एरिया में ST18, ST 2404, ST 2403, ST 29 का मूवमेंट है। ST 19 ने भी इस क्षेत्र में शावक भी दिए हैं।

सरिस्का वन क्षेत्र, जहां पहले मार्बल की खानें थी।
CTH एरिया पर विवाद क्यों?
टहला क्षेत्र में मार्बल की खानें थी। टाइगर का मूवमेंट बढ़ने पर 2024 में इस एरिया को CTH घोषित कर दिया गया था। यानी किसी भी व्यक्ति की इस एरिया में एंट्री बंद थी।
केवल वनकर्मी को ही जाने की परमिशन थी। अब टहला क्षेत्र वापस बफर जोन में आने पर मार्बल खानों के खुलने की संभावना हो गई है।
सुनयन शर्मा का कहना है- खान वापस चालू होती है तो टहला से राजगढ़ वाले रोड पर 24 घंटे में करीब 1000 डंपर चलेंगे। ये डंपर CTH वाले एरिया से भी निकलते हैं। यहां आस-पास टाइगर ज्यादा हैं। ऐसे में डंपर से टाइगर के एक्सीडेंट का डर बना रहेगा।
टाइगर के घर में मार्बल खान चालू करने की साजिश
सरिस्का में फील्ड डायरेक्टर रह चुके सुनयन शर्मा ने CTH एरिया को बफर जोन में शिफ्ट करने को साजिश बताया है। उन्होंने कहा- ये सारी एक्सरसाइज पुरानी 250 खानों को वापस चालू कराने के लिए की जा रही है।
उन्होंने कहा– आदमी के घर के बगल में खान हो तो दिमाग खराब हो जाता है। व्यक्ति उस कॉलोनी को छोड़कर दूसरी जगह चला जाता है लेकिन यहां तो टाइगर के घर में खानें चालू करने की साजिश है।
सुनयन शर्मा ने बताया- कोर्ट ने 2024 को टहला की माइंस को बंद कर दिया था। कोर्ट ने टिप्पणी की थी- ‘ये टाइगर रिजर्व का हिस्सा है। ये फॉरेस्ट का हिस्सा नहीं है। उस समय रेवेन्यू और माइनिंग ने मिलकर सरकार की मर्जी से वन एरिया को रेवेन्यू का एरिया बता दिया था। ये एक तरह से साजिश थी।’
उस समय ये सैकड़ों माइंस अलॉट की गई थी। तब तरुण भारत संघ के मार्फत रिट लगाई थी। ओआईसी सरकार के रूप में मैंने खुद कोर्ट में एफिडेविट दिया कि ये वन क्षेत्र है।

सरकार के फैसले से ग्रामीण खुश, बोले– रोजगार बढ़ेगा
- टहला क्षेत्र के कूंडला गांव में रहने वाले कल्लू ने बताया- पिछले डेढ़ साल में खानें बंद होने से बेरोजगारी बढ़ी है। अब रोजगार नहीं है। जंगली जानवर के शिकार करने की बात हमें समझ नहीं आ रही। यहां तेंदुआ जरूर दिखता है लेकिन टाइगर नहीं आता है।
- धांधू का कहना है- मल्लाना, तिलवाड़, खोहदरीबा और जयसिंहपुरा में सबसे ज्यादा खानें हैं। ये खानें बंद होने से 10 से 15 हजार लोग बेरोजगार हो गए थे। इन सभी खानों के 500 से 1000 ट्रक चलते थे। एक डंपर पर 2 जने काम करते हैं। ऐसे में सीधे 2000 लोगों को डंपर पर नौकरी मिल जाएगी। एक खान में 20 से 50 लोग काम करते हैं। करीब 50 खान वापस चालू होती हैं तो सीधे करीब 1 हजार लोगों को रोजगार मिलता है।
- डूंगाराम ने कहा- यहां बघेरे तो खूब हैं। बकरी को जब चाहे उठा ले जाते हैं। दस-पांच दिन में बघेरे मिल जाते हैं, लेकिन टाइगर नहीं मिला। अब खानें बंद होने से बेरोजगारी बढ़ गई है। खानों से निकलने वाले पत्थर से राजगढ़ और अलवर में 50 से ज्यादा फैक्ट्रियां चालू हो जाती हैं। एक फैक्ट्री में औसतन 100 से 200 लोग काम करते हैं। जिसके अनुसार करीब 5 से 7 हजार लोग काम करते हैं।

CTH पर सियासत भी गर्म
अलवर में शनिवार (18 जुलाई) को कांग्रेस की संविधान बचाओ रैली थी। मंच से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने CTH को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया। वहीं सरकार के मंत्री इसे बाघों के संरक्षण के लिए जरूरी बता रहे हैं।
टाइगर का पता बदलने में लगी सरकार
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा- सरिस्का बाघ विहीन हो गया था। तब कांग्रेस सरकार के प्रयासों से तीन टाइगर लेकर आए थे। अब सरिस्का में 48 टाइगर हो गए हैं लेकिन ये टाइगर का पता बदलने में लगे हैं।
कांग्रेस का एक-एक कार्यकर्ता पूरे जिले में गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर आमजन को बताएगा कि किस तरह भ्रष्टाचार हो रहा है। टाइगर जंगल का राजा है, जहां रहता आया है वहीं रहेगा।

सांसद और मंत्री पर खान मालिकों से 500 करोड़ की डील करने का लगा आरोप
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा था- बीजेपी राज में बजरी माफिया, खनन माफिया और अब तो शेर की सीमा सरकाने वाले माफिया भी आ गए हैं।
हाल में बीजेपी से बर्खास्त व पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने भी CTH विवाद में केंद्रीय मंत्री व अलवर सांसद भूपेंद्र यादव और राज्य वन मंत्री संजय शर्मा पर आरोप लगाया था।
उनका कहना था कि CTH एरिया को बफर जोन में करने के पीछे बड़ी डील हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सांसद और मंत्री ने खान मालिकों से 500 करोड़ की डील की है।
पूर्व मंत्री हेमसिंह भड़ाना बोले – केंद्र सरकार की अच्छी पहल
इस मामले में पूर्व मंत्री हेमसिंह भड़ाना का कहना है- ये केंद्र सरकार की अच्छी पहल है। टहला, कालवाड़, मल्लाना, तिलवाड़ और खारियावास को CTH से बाहर किया है।
इससे पहले ये एरिया CTH होने से जमीन का कन्वर्जन भी नहीं होता था। केसीसी नहीं मिलता है, पट्टा नहीं मिलता था। दुकान खोलने के लिए अनुमति नहीं मिलती है। टूरिस्ट बढ़ने से पर्यटन को महत्व मिलेगा।
भड़ाना का कहना है– खान चाहे बीजेपी के नेता की हो या कांग्रेसी या किसी अधिकारी की। खान विभाग ने अपने मापदंड के अनुसार एनओसी दी होगी। इस फैसले से आमजन को ही फायदा होगा। अब पशु संपदा का विस्तार होगा।
