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नई दिल्ली3 घंटे पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा- “प्रवर्तन निदेशालय (ED) सारी हदें पार कर रहा है। एक वकील और मुवक्किल के बीच की बातचीत विशेष होती है। भले ही वह गलत हो। उनके खिलाफ नोटिस कैसे जारी किए जा सकते हैं। कुछ तो गाइडलाइन होनी चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने ED के उस एक्शन पर चिंता और नाराजगी जताई जिसमें एजेंसी ने जांच के दौरान कानूनी सलाह देने या मुवक्किलों की तरफ से पैरवी करने वाले वकीलों को समन दिया था। कोर्ट ने इस मामले में दिशा-निर्देश भी मांगे।
CJI बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच कानूनी पेशे की स्वतंत्रता पर ऐसी कार्रवाइयों से पड़ने वाले असर से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
यह मामला ED की तरफ से सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार और प्रताप वेणुगोपाल को तलब किए जाने के बाद उठा। इस मामले को कोर्ट ने खुद ही चुना था। अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।

ED की तरफ से बोले SG- हमने वकीलों को समन न देने कहा है
सरकार और ED की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट की टिप्पणी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हाईलेवल पर रखा गया है। जांच एजेंसी को वकीलों को कानूनी सलाह देने के लिए नोटिस नहीं देने के लिए कहा गया है। मेहता ने कहा कि झूठी कहानियां गढ़कर संस्थानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
मेहता ने कहा- जहां तक कमेंट का सवाल है, कभी-कभी ये अलग-अलग मामलों के आधार पर गलत तरीके से बनाई जाती हैं। यह मैं कह रहा हूं, ED नहीं। एक संस्था के खिलाफ एक कहानी गढ़ने की एक साजिश है। कोर्ट को कुछ मामलों में अतिक्रमण का पता चल सकता है।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी कहा कि उन्होंने ED के अधिकारियों से बात की है। उन्हें बताया है कि वकीलों को समन भेजना गलत था क्योंकि वकीलों को कानूनी राय देने के लिए समन नहीं किया जा सकता।
मेहता ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राय बनाने को लेकर भी सचेत किया। जब मेहता ने घोटालों में आरोपी नेताओं का जिक्र किया तो CJI बोले- हमने पहले ही कहा था कि इसका राजनीतिकरण मत कीजिए।
वकीलों ने उठाया कानूनी पेशे में आजादी का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने चीन और तुर्की के साथ मुद्दे का हवाला देते हुए कहा, भारत को उन दूसरे देशों की राह पर नहीं चलना चाहिए जिन्होंने कानूनी पेशे की स्वतंत्रता पर हमला किया है।उन्होंने कहा- इसे हमेशा के लिए रद्द कर देना चाहिए। कहते हैं तुर्की में, पूरी बार एसोसिएशन को भंग कर दिया गया। चीन में भी ऐसा ही मामला है।
वकीलों को खासकर कानूनी राय देने के लिए, तलब करना एक खतरनाक मिसाल कायम कर रहा है। वरना इसका पूरी न्याय व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वकील स्वतंत्र रूप से सलाह नहीं दे पाएंगे।
CM सिद्धारमैया के MUDA केस में भी ED को फटकारा
CJI बीआर गवई और जस्टिस के.विनोद चंद्रन की बेंच ने मैसूर अर्बन डेवलपमेंट बोर्ड (MUDA) केस में ED की अपील की सुनवाई के दौरान ED को फटकार लगाई। बेंच ने कहा- राजनीतिक लड़ाइयां चुनाव में लड़ी जानी चाहिए, जांच एजेंसियों के जरिए नहीं। ED का इस तरह इस्तेमाल क्यों हो रहा है? की। हमारा मुंह मत खुलवाइए। नहीं तो हम ED के बारे में कठोर टिप्पणियां करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
दरअसल, ED ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को MUDA केस में समन भेजा था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मार्च में यह समन रद्द कर दिया था। ED ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आखिर में ED की अपील खारिज कर दी। पढ़ें पूरी खबर…

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