एक पुलिस अधिकारी एकसाथ कितनी आपराधिक घटनाओं की जांच कर सकता है? यह सवाल सरकार और पुलिस के मुखिया को खुद से करना चाहिए। क्योंकि भास्कर पड़ताल में अजब स्थिति मिली है। वर्कलोड में दबे टाॅप 50 आईओ में 38 जयपुर कमिश्नरेट से हैं। ऐसे ही प्रमुख टॉप 10 आईओ म
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श्रवण कुमार, इंस्पेक्टर साइबर थाना जयपुर – अंडर इन्वेस्टिगेशन FIR 410
केस संख्या भी डायरी देखकर बता पा रहे हैं
आईटी एक्ट के मामलों की तफ्तीश इंस्पेक्टर या उससे वरिष्ठ अधिकारी ही कर सकता है। बावजूद इसके साइबर थाना जयपुर में एक ही इंस्पेक्टर श्रवण कुमार हैं। थाने में वर्ष 2025 में 123 केस दर्ज हुए हैं। श्रवण के पास अंडर इन्वेस्टिगेशन 410 एफआईआर है। किस केस में क्या चल रहा है, यह बताना मुश्किल है। कितने केस हैं, यह भी डायरी देखकर बताया।
इंस्पेक्टर मंजू चौधरी, महिला थाना वेस्ट – अंडर इन्वेस्टिगेशन FIR 150
दो एसआई का प्रमोशन हुआ तो 180 फाइलें बढ़ीं
प्रदेश में दहेज व घरेलू हिंसा को लेकर सबसे अधिक केस महिला थाना (जयपुर वेस्ट) में दर्ज होते हैं। गत वर्ष 514 और इस वर्ष 323 केस दर्ज हो चुके। थानाधिकारी मंजू चौधरी के पास 150 केसों की तफ्तीश है। दो एसआई निधि और सरोज प्रमोशन टेस्ट की तैयारी कर रही हैं। दोनों का प्रमोशन हुआ तो दोनों की 180 फाइलें भी मंजू के पास आ जाएंगी।
सब इंस्पेक्टर धर्मसिंह, थाना शिवदासपुरा – अंडर इन्वेस्टिगेशन FIR 140
दिनभर थाने में, रात में केसों की फाइल देखते हैं
जयपुर कमिश्नरेट के शिवदासपुरा थाने में फाइलों का अंबार है। सबसे अधिक 140 फाइलें एसआई धर्मसिंह के पास हैं। वे कहते हैं- थाने पर पोस्टिगं के साथ ही फाइलों का ढेर मिला था। बढ़ते-बढ़ते यह संख्या डेढ़ सौ के पास पहुंच गई। अब रात-रात भर इन फाइलों को निकालने का प्रयास करते हैं। कुछ फाइलें निकलती हैं तो नई और आ जाती हैं।
सब इंस्पेक्टर लेखराज, थाना शिवदासपुरा – अंडर इन्वेस्टिगेशन FIR 135
केस इतने… कि प्रायोरिटी तय करना बहुत मुश्किल
जानलेवा हमला, चोरी, जमीनी धोखाधड़ी हो या अवैध हथियार… सभी तरह की मामलों की तफ्तीश एसआई लेखराज के पास है। उनका कहना है कि मामले इतने ही हैं कि इनमें प्रायोरिटी तय करना मुश्किल रहता है। लाॅ एंड आर्डर ड्यूटी और अन्य काम पहले करने होते हैं। हर परिवादी तत्काल मदद चाहता है, लेकिन यह उनके लिए असंभव सा है।
सब इंस्पेक्टर गुड्डी, महिला थाना दक्षिण – अंडर इन्वेस्टिगेशन FIR 120
प्रक्रिया में वक्त लगता है, 1 आईओ कैसे करेगा
महिला थाने में पारिवारिक मामले रहते हैं। गुड्डी कहती हैं- हर पीड़िता चाहती है कि उसका मामला जल्दी निस्तारित किया जाए, लेकिन हर प्रक्रिया तय है। बयान के बाद काउंसलिंग और फिर आरोपी पक्ष को नोटिस। आरोपी पक्ष समय पर कहां उपस्थित होते हैं। ऐसे में समय लगता है। जिले में ही जांच अधिकारियों की कमी है तो क्या ही किया जाए।
महिला थाना निरीक्षक का भी यही हाल
- शिवदासपुरा थाने के एसएचओ वीरेंद्र सिंह के पास जांच के लिए 120 एफआईआर हैं। क्षेत्र कृषि से आवासीय में बदल रहा है। सबसे अधिक जमीन के विवाद हैं, जिन्हें निपटाने में वक्त लगता ही है। केसों की संख्या अधिक होने से मुश्किल होती है।
- महिला थाना दक्षिण की एसएचओ इंदु शर्मा के पास 128 मामलों की जांच एक साथ कर रही हैं। पोस्टिंग भले महिला थाने में है, लेकिन रात्रिगश्त, लाॅ एंड आर्डर की ड्यूटी भी आती है। थाने में दो ही जांच अधिकारी हैं। गत वर्ष 251 केस दर्ज हुए तो इस वर्ष 142 केस।
1.48 लाख केस दर्ज हो चुके हैं वर्ष 2025 में जून तक
क्योंकि… 2021 एसई भर्ती विवादों में। समय पर प्रमोशन नहीं।
- लॉ एंड आर्डर व वीआईपी ड्यूटी के लिए भारी जाप्ता।
“पदोन्नति अटकी होने से थानों में जांच अधिकारियों की कमी है। ज्यादा कमी इंस्पेक्टर व एसआई की है। हेडक्वार्टर ब्रांच इस पर काम कर रही है। जल्द पद भरे जाएंगे।”
-राजीव शर्मा, पुलिस महानिदेशक, राजस्थान
इनकी तफ्तीश के लिए इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर और हेड कांस्टेबल की जरूरत है, जिनके 13,500 से ज्यादा पदों की कमी है