20 मिनट पहलेलेखक: प्रांशू सिंह
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अक्सर मां और गाय के दूध को सबसे हेल्दी बताया जाता है। अब वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि कॉकरोच का दूध मां और गाय के दूध से 2-3 गुना ज्यादा न्यूट्रिशियस (पोषक) होता है।
वहीं इजराइल में समुद्र का पानी लाल हो गया है। इसके पीछे अधिकारियों ने खास वजह बताई है।

- कैसे कॉकरोच का दूध गाय से तीन गुना ज्यादा हेल्दी?
- इजराइल में समुद्र का पानी लाल क्यों हुआ?
- बेटे के लिए 90 साल की मां वकील क्यों बनी?
- 20 साल तक बिना काम सैलरी मिलने पर केस क्यों?
- स्टूडेंट ने क्यों भरा उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन?


हाल ही में वैज्ञानिकों ने डिप्लोप्टेरा पुंक्टाटा नाम के कॉकरोच प्रजाति से निकलने वाले दूध को गाय के दूध से तीन गुना ज्यादा पौष्टिक बताया है। रिसर्चर्स के मुताबिक, यह दूध प्रोटीन, फैट और शुगर से भरपूर है, जिससे ये धरती का सबसे ज्यादा न्यूट्रीशियस फूड है।
इसमें शरीर के लिए सभी जरूरी 9 अमीनो एसिड हैं। साथ ही यह दूध लैक्टोज-फ्री होने की वजह से एलर्जी वाले लोगों के लिए भी पीने लायक है। लेकिन दूध निकालने का प्रोसेस जटिल होने की वजह से मार्केट में इसकी उपलब्धता नहीं है।
हालांकि बड़े स्तर पर टेस्टिंग न होने की वजह से यह साबित नहीं है कि दूध इंसानों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं। इस दूध के 100 ग्राम में करीब 700 कैलोरी होती है, जो गाय के दूध से तीन गुना ज्यादा है। इसका ज्यादा सेवन वजन बढ़ा सकता है। स्टडी के मुताबिक, 100 ग्राम दूध के लिए 1,000 से ज्यादा मादा कॉकरोच की जरूरत पड़ती है।


इजराइल की मशहूर ‘सी ऑफ गैलिली’ झील का पानी अचानक लाल हो गया है। इस अजीबोगरीब नजारे से लोग डर गए, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि यह ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हुआ है।
अधिकारियों ने जांच में पाया कि पानी का रंग बदलने की वजह बोट्रीओकोकस ब्राउनी नाम की हरी काई है। ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ते टेम्प्रेचर की वजह से यह काई तेजी से बढ़ रही है। इस काई पर सूरज की रोशनी पड़ती ही ये लाल रंग का पिगमेंट बनाता है, जिससे पूरी झील लाल दिखाई देती है।
हालांकि अधिकारियों ने इस पानी को इंसानों के लिए सुरक्षित बताया है। लेकिन काई की वजह से सूरज की रोशनी समुद्र की गहराई तक नहीं पहुंच पा रही है, जिससे मछलियों पर खतरा है। इस तरह की घटनाएं अब दुनिया भर में आम होती जा रही हैं।


चीन में 90 साल की एक मां ने जेल से बेटे को छुड़ाने के लिए खुद कानून की पढ़ाई की, फिर वकील बनकर कोर्ट में पहुंची हैं। दरअसल यह मामला 57 साल के लिन का है, जिन पर एक अमीर बिजनेसमैन हुआंग से करीब ₹142 करोड़ की उगाही का आरोप है।
क्या है पूरा मामला? अप्रैल 2023 में लिन को बिजनेसमैन हुआंग को ब्लैकमेल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हुआंग 2009 में 800 करोड़ युआन की संपत्ति के साथ चीन के टॉप-100 रिच लोगों में शामिल था। लिन और हुआंग गैस प्रोडक्शन में बिजनेस रिलेशनशिप में थे। लेकिन अक्सर हुआंग लिन को पेमेंट करने में देरी करते थे, जिससे लिन की गैस प्रोडक्शन फैक्ट्री बंद हो गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे नाराज होकर लिन ने 2014-2017 के बीच हुआंग की कंपनी को इर-रेगुलैरिटीज एक्सपोज करने की धमकी देकर ₹142 करोड़ उगाही करने के लिए मजबूर किया। इसके बाद 2023 में, हुआंग ने लिन के खिलाफ उगाही करने के आरोप में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।


फ्रांस में एक महिला को 20 साल तक बिना काम कराए सैलरी मिली तो उसने अपनी कंपनी पर ही केस कर दिया। दरअसल 59 साल की लॉरेंस वैन वासेनहोवे ने 1993 में एक बड़ी टेलिकॉम कंपनी जॉइन की। बाद में उन्हें मिर्गी और हेमीप्लेजिया (शरीर का एक हिस्सा पैरालिसिस) हो गया। इसके बाद उन्हें एक सेक्रेटरी की नौकरी दी गई।
2002 में, कंपनी ने उन्हें स्टैंडबाय पर डाल दिया। उन्हें 20 साल से ज्यादा समय तक कोई काम नहीं दिया गया। कोई जिम्मेदारी नहीं थी। किसी से कोई संपर्क नहीं था। वह कहती हैं, ‘मुझे लगता था कि मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है।’ उन्होंने कहा कि घर पर बिना काम के सैलरी पाना कोई खास फायदा नहीं, यह बहुत मुश्किल होता है।
कंपनी पर लगाया भेदभाव का आरोप अब लॉरेंस ने ऑरेंज कंपनी पर मुकदमा किया है। उनका आरोप है कि कंपनी ने उनकी हेल्थ जरूरतों को नजरअंदाज किया। फ्रांस के कानून के तहत कंपनी को उन्हें काम देना चाहिए था। लॉरेंस के वकील का कहना है कि यह भेदभाव है। कंपनी का कहना है कि उन्होंने महिला की निजी स्थिति का ध्यान रखा था। उन्होंने कहा कि लॉरेंस अक्सर छुट्टी पर रहती थीं। इसलिए कोई नई भूमिका नहीं दी जा सकी।


राजस्थान के जैसलमेर में रहने वाले स्टूडेंट ने उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। इसके लिए 38 साल के जलालुद्दीन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए 15 हजार रुपए की डिपॉजिट राशि जमा की।
उन्होंने कहा, ‘मुझे चुनाव लड़ने का शौक है।’ इसलिए वे सभी तरह के चुनाव में नामांकन भरते हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में भी भाग लेने की कोशिश की थी। लेकिन उम्र ज्यादा होने के कारण नामांकन नहीं कर पाए।
पहले भी लड़ चुके हैं चुनाव यह पहली बार नहीं है। वे इससे पहले वार्ड पंच, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी नामांकन कर चुके हैं। 2009 में वे वार्ड पंच का चुनाव लड़े थे। उसमें वे एक वोट से हार गए थे। 2013 के विधानसभा और 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने नामांकन वापस ले लिया था।
इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए नॉमिनेशन डॉक्युमेंट्स की जांच हुई है। इसमें एक खामी पाई गई। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, इस गलती के कारण उनका पर्चा रद्द हो जाएगा।
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