3 मिनट पहलेलेखक: प्रांशू सिंह
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दो पैरों पर चलते इंसानों को आपने जरूर देखा होगा, लेकिन क्या 4 पैरों पर चलने वाले इंसान देखा है? तुर्की में एक पूरा परिवार ही जन्म से दोनों पैर और हाथ से चलते आ रहे हैं।
वहीं मध्य प्रदेश के गुना में एक शख्स को शादी नहीं करने पर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने से मना कर दिया गया।

- चार पैरों पर चलने वाले इंसान कहां पाए जाते हैं?
- शादी नहीं करने पर शख्स को क्यों नहीं मिला सरकारी घर?
- स्पेलिंग मिस्टेक से कैदी को कैसे मिली जमानत?
- आर्टिफिशियल ब्रेन इंसानी दिमाग से दोगुना तेज कैसे?
- शख्स ने 1 करोड़ में क्यों खरीदी 300 साल की जिम मेंबरशिप?


आमतौर पर इंसान दो पैरों पर चलते हैं। लेकिन तुर्की में एक ऐसा परिवार है, जो जानवरों की तरह चलते हैं। इस परिवार में पांच भाई-बहन है, जो चलने के लिए हाथ और पैरों का सहारा लेते हैं। यह परिवार सालों तक दुनिया से कटा रहा। इसे ‘बैकवर्ड इवोल्यूशन’ कहा जा रहा है, यानी पीछे लौटता हुआ इंसानी विकास।
इसके पीछे ‘यूनर टैन सिंड्रोम’ वजह
वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद दावा किया। यह परिवार ‘यूनर टैन सिंड्रोम’ का शिकार है। यह एक जेनेटिक बीमारी है। इसमें दिमाग यह सोचता है कि शरीर दो पैरों पर संतुलन नहीं बना पाएगा। इसलिए, पीड़ित लोग हाथ और पैरों का सहारा लेकर चलते हैं।
इस परिवार के मुखिया कपल भी हाथ और पैरों से चलते थे। उनके 19 बच्चे हुए। इनमें से पांच बच्चे इस सिंड्रोम का शिकार हुए।


मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक दिव्यांग युवक को प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का लाभ देने के लिए एक अनोखी शर्त दी गई है। सरकारी सिस्टम ने उससे कहा कि अगर उसने शादी नहीं की, तो उसे घर नहीं मिलेगा।
हुआ यूं कि गुना में रहने वाले पवन अहिरवार नाम के दिव्यांग ने PM आवास योजना के लिए अप्लाई किया था। नगर परिषद ने उन्हें एक नोटिस भेजा। इसमें लिखा था कि वे ‘अविवाहित’ हैं। इस वजह से वे योजना के लिए अपात्र हैं। उन्हें 3 दिन के अंदर शादी का सबूत देने को कहा गया।
इस मामले पर कलेक्टर ने हंसकर कहा- कंफ्यूजन है
दिव्यांग पवन ने इसकी शिकायत कलेक्टर ऑफिस में की। उन्होंने कहा कि उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। जब गुना कलेक्टर किशोर कुमार कन्याल से इस बारे में पूछा गया, तो वे हंस पड़े। उन्होंने इसे ‘कंफ्यूजन’ बताया। कलेक्टर ने अधिकारियों को जांच का आदेश दिया। उन्होंने साफ किया कि योजना का लाभ जमीन के आधार पर मिलता है। पवन के पास जमीन है। इसलिए उन्हें लाभ जरूर मिलेगा।


ग्वालियर हाईकोर्ट के एक बेल ऑर्डर में स्पेलिंग मिस्टेक होने से गलत कैदी की जमानत मिल गई। वहीं जिस आरोपी को जमानत मिलनी थी, उसकी अर्जी खारिज कर दी गई। यह फैसला विदिशा जिले में हुई एक हत्या के मामले में सुनाया गया। इसमें हल्के आदिवासी और धर्मेंद्र नाम के दो शख्स आरोपी हैं।
दोनों ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। 8 अगस्त को कोर्ट ने हल्के आदिवासी को जमानत देने का आदेश दिया। लेकिन, शाम होते-होते अदालत को अपनी गलती का पता चला। कोर्ट ने तुरंत पहला आदेश रद्द कर, एक नया आदेश जारी किया। इसमें बताया गया कि टाइपिंग में गलती से ऐसा हुआ था।
हैरानी की बात है कि आदेश अपलोड होते ही गलत कैदी का वकील बेल ऑर्डर लेकर रिहाई कराने जेल तक पहुंच गया था। लेकिन हाईकोर्ट की तत्परता से रिहाई रुक गई।


चीन में एक शख्स के साथ बड़ा धोखा हुआ है। उसने एक जिम में ₹1 करोड़ खर्च कर 300 साल की मेंबरशिप ले ली। लेकिन जिम का मालिक पैसे लेकर फरार हो गया। दरअसल जिन नाम के शख्स को जिम वाले ने एक ऑफर दिया कि वह एक साल की मेंबरशिप खरीदे। जिम वाले उस मेंबरशिप को नए ग्राहक को ज्यादा कीमत पर बेच देगा। जो भी फायदा होगा, उसका 90% जिन को मिलेगा।
इस लालच में आकर जिन ने दो महीने में 26 कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लिए। उसने कुल ₹1 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए। इससे उसकी मेंबरशिप 300 साल की हो गई। लेकिन जब पैसे वापस मिलने का दिन आया, तो जिन को कोई पैसा नहीं मिला। उसने जिम में पता किया। तब पता चला कि जिम का मालिक और सारे सेल्स स्टाफ भाग चुके हैं।
जिन ने बाद में साइन कॉन्ट्रैक्ट चेक किया तो उसमें मुनाफे की कोई बात नहीं लिखी हुई थी। मेंबरशिप किसी और को बेची भी नहीं जा सकती थी।


चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कंप्यूटर बनाया है, जो हूबहू इंसानी दिमाग जैसा दिखता है। यह इंसानी दिमाग से दोगुनी रफ्तार से काम करेगा। इसका नाम ‘डार्विन मंकी’ रखा गया है।
इसे Zhejiang University के डेवलपर्स ने बनाया है। इसमें 20 अरब से ज्यादा AI न्यूरॉन्स हैं। ये बायोलॉजिकल न्यूरॉन्स की तरह ही काम करते हैं। कंप्यूटर में 960 ‘डार्विन-3’ चिप्स लगाए गए हैं। ये 100 अरब से ज्यादा स्नैप्स बनाते हैं। खास बात यह है कि यह सिर्फ 2000 वॉट बिजली खर्च करता है।
यह ब्रेन कठिन सवाल भी मिनटों में हल करता है
यह सुपरकम्प्यूटर AI को और एडवांस बनाएगा। यह लॉजिकल रीजनिंग और मैथ्स के कठिन सवाल भी हल कर सकेगा। यह जानवरों के दिमाग का सिमुलेशन भी कर सकता है। जैसे, बंदर, चूहे और जेब्राफिश का दिमाग।
यह न्यूरोमोर्फिक कंप्यूटिंग तकनीक पर आधारित है। यह दिमाग की काम करने की प्रक्रिया की नकल करती है। इससे कंप्यूटर सीखने और फैसले लेने जैसे काम आसानी से कर पाता है। प्रोफेसर पैन गैंग के अनुसार, यह रोबोटिक्स, मेडिकल साइंस और रिसर्च में बड़े बदलाव ला सकता है।
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