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- Parivartini Ekadashi On 3rd September, Parivartini Ekadashi Significance In Hindi, Vishnu Puja Vidhi In Hindi, Ekadashi Vrat Vidhi
10 घंटे पहले
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आज (3 सितंबर) भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसे परिवर्तिनी एकादशी, जलझूलनी एकादशी एकादशी कहा जाता है। ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण, पद्म पुराण, भगवत पुराण आदि ग्रंथों में एकादशी व्रत के बारे में बताया गया है।
स्कंद पुराण के वैष्णव खण्ड में एकादशी महात्म्य अध्याय में कहा गया है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे देवशयन एकादशी कहा जाता है। इसके बाद भाद्रपद शुक्ल एकादशी को वे अपनी योगनिद्रा में करवट बदलते हैं, इस कारण इस तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। विष्णु जी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तक विश्राम करते हैं। विष्णु जी के विश्राम के समय को चातुर्मास कहा जाता है।
पद्म पुराण के मुताबिक, एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह पापकर्मों से मुक्त होता है।
नियमानुसार व्रत का पालन करने के लिए ये बातें ध्यान रखें-
- स्नान के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र का गंगाजल से अभिषेक करें। लक्ष्मी सहित विष्णु जी की पूजा करें। पूजन सामग्री में तुलसी दल, पीले पुष्प, केसर मिश्रित दूध, धूप, दीप, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को दिनभर उपवास रखना चाहिए। केवल फलाहार या जल का सेवन कर सकते हैं।
- विष्णु सहस्त्रनाम और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- अगले दिन द्वादशी (4 सितंबर) को जरूरतमंद व्यक्ति को वस्त्र, अन्न, दक्षिणा आदि दान दें। भोजन कराएं और इसके बाद स्वयं भोजन करें।
- शास्त्रों में कहा गया है कि – व्रतेन दानेन तपः समाचरेत्, यथा यथा शक्तिमवाप्नुयात्तु। इसका अर्थ ये है कि व्रत, दान और तप को अपनी शक्ति के अनुसार अवश्य करना चाहिए।
एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण पूजन करने की परंपरा
इस तिथि लक्ष्मी जी के साथ श्रीविष्णु की पूजा करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दक्षिणावर्ती शंख में केसरयुक्त दूध भरकर श्रीविष्णु का अभिषेक करना चाहिए।
गणेश उत्सव, बुधवार और एकादशी का योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस बार ये एकादशी बुधवार को है, अभी गणेश उत्सव भी चल रहा है, ऐसे में इस तिथि का महत्व और अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष में बुधवार का कारक ग्रह बुध को माना गया है। ये बुद्धि, वाणी और व्यापार का कारक ग्रह है। इसलिए बुधवार को बुध ग्रह की विशेष पूजा करनी चाहिए। बुधवार के स्वामी गणेश जी माने जाते हैं और एकादशी तिथि के स्वामी विष्णु जी हैं, इसलिए आज इन तीनों देवताओं की विशेष पूजा करने का शुभ योग बन रहा है।
गणेश जी को दूर्वा की 21 गांठें चढ़ाएं। 108 बार श्री गणेशाय नमः मंत्र का जप करें।
बुध ग्रह के निमित्त हरे मूंग का दान करना चाहिए। बुध ग्रह के मंत्र ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुद्धाय नमः का जप कम से कम 108 बार करें। बुध ग्रह की प्रतिमा का अभिषेक करें। धूप-दीप जलाकर आरती हैं और मिठाई का भोग लगाएं।