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नई दिल्ली18 मिनट पहले
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देश की कुल प्रजनन दर साल 1971 में 5.2 थी, जो 2023 में घटकर 1.9 रह गई।
भारत की आबादी अब धीरे-धीरे उम्रदराज हो रही है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की 2023 की सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) रिपोर्ट के मुताबिक देश में 0 से 14 साल के बच्चों की आबादी में लगातार गिरावट आ रही है, जबकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है।
साथ ही, कामकाजी उम्र (15 से 59 साल) के लोगों की हिस्सेदारी भी बढ़ी है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश की कुल प्रजनन दर (फर्टिलिटी रेट) 1971 में 5.2 थी, जो 2023 में घटकर 1.9 रह गई है।
0 से 14 साल के बच्चों की आबादी 1971-81 के बीच 41.2% से घटकर 38.1% हो गई थी। इसके बाद 1991 से 2023 के बीच यह और घटकर 24.2% रह गई। यानी पिछले 50 साल में बच्चों की हिस्सेदारी में करीब 17% की गिरावट आई है।
इस बढ़ोतरी का असर क्या…
- आर्थिक असर : बच्चों की संख्या घटना मतलब भविष्य में कार्यबल छोटा होगा। आर्थिक विकास की गति धीमी होना संभव बच्चे ज्यादा तो खर्च अधिक; भविष्य में पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ेगा।
- सामाजिक असर : सिंगल चाइल्ड या नो चाइल्ड परिवार बढ़ सकते हैं। बुजुर्गों को संभालने वाले कम होंगे। प्रति बच्चे पर निवेश बढ़ सकता है, यानी बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान संभव है।
कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या बढ़ी
15 से 59 साल के लोगों की आबादी में लगातार इजाफा हो रहा है। 1971-81 के बीच यह 53.4% से बढ़कर 56.3% हुई। 1991 से 2023 के बीच यह और बढ़कर 66.1% हो गई। दिल्ली में इस उम्र वर्ग की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 70.8% है।
वहीं, बिहार में यह सबसे कम 60.1% है। शहरी इलाकों में कामकाजी उम्र के लोगों की हिस्सेदारी 68.8% है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 64.6% है। जम्मू-कश्मीर में ग्रामीण महिलाओं की हिस्सेदारी सर्वाधिक 70.1% है।
बुजुर्गों की आबादी 9.7% हुई, केरल में सबसे ज्यादा
देश में बुजुर्गों की संख्या भी बढ़ रही है। 2023 में 60 साल से ऊपर की आबादी 9.7% हो गई है। केरल में यह सबसे ज्यादा 15.1% है। इसके बाद तमिलनाडु (14%) और हिमाचल प्रदेश (13.2%) का स्थान है। उधर, देश की कुल प्रजनन दर 1971 में 5.2 थी, जो 2023 में घटकर 1.9 हो गई। वहीं, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 0-14 आयु वर्ग में लड़कों की संख्या लड़कियों से ज्यादा है, सिर्फ दिल्ली के ग्रामीण इलाकों को छोड़कर।
इधर… शिशु मृत्यु दर 10 साल में 37.5% कम हुई
देश में शिशु मृत्यु दर 2023 में घटकर 25 रह गई है। यह 2013 में 40 थी। यानी 10 साल में इसमें 37.5% की गिरावट आई है। यह जानकारी भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) रिपोर्ट 2023 में दी गई है।शिशु मृत्यु दर किसी भी देश की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को दर्शाने वाला अहम पैमाना है। यह प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर एक साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु की संख्या को दर्शाता है।
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