16 घंटे पहले
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6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है। इस तिथि पर गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ ही गणेश उत्सव की समाप्ति होती है। गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा का विसर्जन घर में ही करेंगे तो ये पर्यावरण के नजरिए से बहुत अच्छा रहेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, किसी साफ बर्तन में गणेश प्रतिमा का विसर्जन करना चाहिए। इसके बाद जब प्रतिमा पानी में गल जाए, तब ये मिट्टी और पानी घर के गमलों में डाल सकते हैं।
नदी-तालाब में प्रतिमाओं का विसर्जन करते समय अधिकतर लोग हार-फूल भी पानी में बहा देते हैं। प्रतिमाएं और हार-फूल की वजह से नदी-तालाब का पानी गंदा होता है। शास्त्रों कहते हैं कि नदी-तालाब को गंदा करने बचना चाहिए। इसलिए घर में ही गणेश प्रतिमा का विसर्जन करना श्रेष्ठ है।
गणेश पूजा की सरल विधि
अनंत चतुर्दथी की सुबह जल्दी उठें। स्नान के बाद मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा करें। गणेश जी को जल-दूध और पंचामृत छिड़कें। इसके बाद जनेऊ पहनाएं। अबीर, गुलाल, चंदन, सिंदूर, इत्र आदि चढ़ाएं। चावल चढ़ाएं।
गणेश मंत्र बोलते हुए दूर्वा की 21 गांठें भगवान को चढ़ाएं। लड्डुओं का भोग लगाएं। कर्पूर जलाएं और आरती करें। पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। प्रसाद बांटें और खुद भी लें।
ऐसे करें प्रतिमा का विसर्जन
गणेश पूजा के बाद घर में साफ बर्तन में शुद्ध पानी भरें, पानी में सभी तीर्थों और पवित्र नदियों का ध्यान करें। कुमकुम, चावल और फूलों की पत्तियां डालें। इसके बाद उस पानी में गणेश प्रतिमा विसर्जित करें।
गणेश जी के सूत्र जीवन में उतारने के संकल्प लें
गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने के साथ ही भगवान के जीवन प्रबंधन सूत्र जीवन में उतारने का संकल्प लें। इन सूत्रों को जीवन में उतार लेंगे तो जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। गणेश जी बुद्धि के देवता माने गए हैं। गणेश जी की शारीरिक संरचना से जानें, भगवान हमें जीवन प्रबंधन के कौन-कौन से सूत्र बताते हैं…
बड़ा सिर – गणेश जी का सिर हमें संदेश देता है कि हमेशा अपनी सोच बड़ी रखनी चाहिए। जब हम बड़ा सोचेंगे तब ही बड़ा काम कर पाएंगे।
बड़े कान- भगवान के बड़े कान बताते हैं कि हमें सभी की बातें बहुत ध्यान से सुननी चाहिए। हाथी जैसे बड़े कान सूप के समान हैं। जिस तरह सूप छिलके बाहर फेंककर सिर्फ अन्न को अपने पास रखता है। ठीक इसी तरह हमें भी सभी की बातें सुननी चाहिए और उन बातों में से जो बात हमारे काम की है, उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए।
छोटी आंखें- गणेश जी की छोटी आंखें बताती हैं कि हमें छोटी-छोटी बातों पर नजर रखनी चाहिए, अपने आसपास एक भी जरूरी बात नजरअंदाज नहीं होनी चाहिए।
सूंड- भगवान की सूंड दूर तक सूंघने में सक्षम होती है। जो उनकी दूरदर्शिता को प्रदर्शित करती है। इसका अर्थ ये है कि भगवान को हर बात की जानकारी है और वे भविष्य को ध्यान में रखकर काम करते हैं। हमें सभी बातों को गहराई से महसूस करना चाहिए और दूरदर्शिता के आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
एक टूटा दांत- गणेश जी का एक दांत पूरा है और दूसरा टूटा हुआ है। टूटा दांत हमें बताता है कि अगर हमारे पास की चीज का अभाव है तो उसकी वजह से निराश नहीं होना चाहिए। अपूर्णता को भी स्वीकार करें और उसके बिना भी प्रसन्न रहें।
बड़ा पेट- भगवान का बड़ा पेट ये संदेश देता है कि हमें अच्छी-बुरी हर तरह की बात को पचा लेना चाहिए। बातों को इधर-उधर नहीं करना चाहिए।
छोटे पैर- गणेशजी के छोटे पैरों का संदेश है कि हमें धैर्य बनाए रखना चाहिए। जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना चाहिए।
लड्डू- छोटी-छोटी बूंदियों से मिलकर लड्डू बनता है। ये हमें एकता बनाए रखने का संकेत देता है।
अंकुश- गणेश जी का अंकुश बताता है कि हमें बुरी आदतों पर अंकुश लगाकर रखना चाहिए। क्रोध, लालच, अहंकार जैसी बुराइयों से बचना चाहिए।
कमल- गणेश जी के हाथ में कमल बताता है कि हमें कमल की तरह रहना चाहिए। कमल कीचड़ में खिलता है। बुरे लोगों के बीच में भी हमें अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए।