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10 घंटे पहले
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आज (7 सितंबर) भाद्रपद मास की पूर्णिमा है और आज रात चंद्र ग्रहण भी होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने तक रहता है। ग्रहण की शुरुआत रात 9.56 बजे होगी, इसका सूतक दोपहर 12.56 बजे शुरू हो जाएगा। मान्यता है कि चंद्र ग्रहण और सूतक के समय में पूजा-पाठ, भोजन नहीं करना चाहिए। इसलिए सूतक शुरू होने से पहले ही पूर्णिमा से जुड़े धर्म-कर्म कर लेना चाहिए। दोपहर करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान कर सकते हैं, आज पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध कर्म किए जाएंगे और कल (8 सितंबर) पितृ पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पितृ पक्ष की शुरुआत में चंद्र ग्रहण का संयोग 16 सितंबर 2016 को भी हुआ था। अब अगली बार ऐसा योग 28 सितंबर 2042 को बनेगा।
सूतक काल से ग्रहण खत्म होने तक मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के बाद स्नान करके मंदिरों की शुद्धि की जाती है और फिर भक्तों के लिए मंदिर खोले जाते हैं। 2025 में भारत में दिखाई देने वाला ये एक मात्र ग्रहण है। इसके बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा, जो कि भारत में नहीं दिखेगा।
कब शुरू होगा चंद्र ग्रहण और सूतक
उज्जैन की जीवाजी वैधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त के मुताबिक, चंद्र ग्रहण 7 और 8 सितंबर की दरमियानी रात होगा।
ग्रहण की शुरुआत: 7 सितंबर की रात 9.56 बजे से होगी।
ग्रहण का मध्य: रात 11.41 बजे रहेगा। इस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा।
कब खत्म होगा: रात 1.26 बजे ग्रहण खत्म हो जाएगा।
भारत के अलावा और कहां दिखेगा: ये चंद्र ग्रहण एशिया, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, आस्ट्रेलिया और यूरोप में भी दिखाई देगा।
ग्रहण का सूतक कब शुरू होगा: पं. शर्मा के मुताबिक, चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.56 बजे से शुरू होगा और ग्रहण खत्म होने के साथ ही खत्म होगा। भाद्रपद पूर्णिमा से जुड़े धर्म-कर्म सूतक शुरू होने से पहले करना चाहिए।
मान्यता: पितृ पक्ष में पितर देव आते हैं धरती पर
पं. शर्मा कहते हैं कि पितृ पक्ष में परिवार के पितर देवता हमारे घर पधारते हैं और जो लोग इन दिनों में पितरों का ध्यान करते हुए धूप-ध्यान करते हैं, उनसे पितर देव प्रसन्न होते हैं। पितरों की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
चंद्र ग्रहण और सूतक के समय करें ये शुभ काम
चंद्र ग्रहण और सूतक के समय में पूजा-पाठ नहीं किए जाते हैं, लेकिन मानसिक मंत्र जप कर सकते हैं। इस समय में जरूरतमंद लोगों को खाना, जूते-चप्पल, कपड़े, कंबल आदि चीजें दान करनी चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा की सुबह गंगा, यमुना, गोदावरी जैसे तीर्थ जल में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।