S Jaishankar at Brics meet amid Trump tariffs Economic practices should be fair | जयशंकर बोले- ट्रेड पॉलिसी निष्पक्ष और सबके फायदे वाली हो: ब्रिक्स समिट में ट्रम्प का नाम लिए बिना कहा- दिक्कतें खड़ी करने से फायदा नहीं

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5 घंटे पहले

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विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ब्रिक्स समिट की इमरजेंसी वर्चुअल समिट में शामिल हुए। - Dainik Bhaskar

विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ब्रिक्स समिट की इमरजेंसी वर्चुअल समिट में शामिल हुए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ब्रिक्स समिट की इमरजेंसी वर्चुअल समिट में शामिल हुए। इस दौरान जयशंकर ने कहा- ट्रेड पॉलिसी निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी के फायदे वाली होनी चाहिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि दिक्कतें खड़ी करने और लेन-देन को मुश्किल बनाने से कोई फायदा नहीं मिलेगा। व्यापार को हमेशा सुगम बनाना चाहिए।

वर्चुअल समिट में चीन के राष्‍ट्रपत‍ि शी ज‍िनपिंग, रूस के राष्‍ट्रपत‍ि व्‍लाद‍िमीर पुत‍िन, ब्राजील के राष्‍ट्रपत‍ि लूला डि स‍िल्‍वा भी शामिल हुए। पहले बैठक में पीएम मोदी शामिल होने की खबर भी थी।

इस समिट का मकसद अमेरिका की टैरिफ नीतियों से पैदा हुई व्यापारिक चुनौतियों पर चर्चा करना था। अमेरिका ने भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50% तक टैरिफ लगाया है। BRICS 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है।

ब्रिक्स समिट की 3 फोटो

ब्राजील के राष्‍ट्रपत‍ि लूला डि स‍िल्‍वा ने वर्चुअल ब्रिक्स समिट बुलाई थी।

ब्राजील के राष्‍ट्रपत‍ि लूला डि स‍िल्‍वा ने वर्चुअल ब्रिक्स समिट बुलाई थी।

समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेता शामिल हुए।

समिट में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य नेता शामिल हुए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वर्चुअल समिट में पीएम मोदी की जगह संबोधन दिया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वर्चुअल समिट में पीएम मोदी की जगह संबोधन दिया।

जिनपिंग बोले- ट्रम्प की चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट हों

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका की व्यापार चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होने पर जोर दिया। जिनपिंग ने कहा, कुछ देशों द्वारा शुरू किए गए व्यापार युद्ध और टैरिफ युद्ध विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं और नियमों को कमजोर करते हैं।

एस जयशंकर की 4 बड़ी बातें…

  1. सप्लाई चेन मजबूत हो: जब भी संकट आता है, तो चीजों की कमी हो जाती है। इसे रोकने के लिए देशों को आपसी सहयोग बढ़ाना होगा। मजबूत और सुरक्षित सप्लाई चेन बनानी होंगी, ताकि सामान समय पर पहुंच सके।
  2. व्यापार घाटा सुलझाना जरूरी: भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटा ब्रिक्स देशों, खासकर चीन से है। इस समस्या को जल्दी सुलझाना जरूरी है, ताकि ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार संतुलित और सबके लिए फायदेमंद हो।
  3. वैश्विक संकट में बड़े संगठन फेल: कोरोना, युद्ध और जलवायु संकट ने पूरी दुनिया को परेशान किया है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े संगठन इन समस्याओं को हल करने में नाकाम रहे हैं। इसलिए इन संस्थाओं में सुधार की जरूरत है।
  4. व्यापार को राजनीति से जोड़ना सही नहीं: व्यापार को राजनीति या गैर-व्यापारिक मामलों से जोड़ना फायदेमंद नहीं है। ब्रिक्स देशों को आपसी व्यापार की समीक्षा करनी चाहिए।

2026 में BRICS की अध्यक्षता करेगा भारत

भारत 2026 में BRICS समिट की अध्यक्षता करेगा और 18वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। यह जिम्मेदारी ब्राजील से भारत को 1 जनवरी, 2026 से मिलेगी।

मोदी ने 2025 में रियो डी जनेरियो में हुए 17वें ब्रिक्स समिट में भारत की योजना को साझा किया। भारत का लक्ष्य ब्रिक्स को एक नए रूप में पेश करना है, जिसका फोकस होगा:

  • मानवता पहले (Humanity First): भारत ब्रिक्स को लोगों के हितों को प्राथमिकता देने वाला मंच बनाएगा, जैसा कि उसने G20 की अध्यक्षता में किया था।
  • लचीलापन और नवाचार (Resilience and Innovation): भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए नई तकनीकों और सहयोग पर जोर देगा।
  • सतत विकास (Sustainability): जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और वैश्विक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
  • ग्लोबल साउथ की आवाज: भारत विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देगा और वैश्विक संस्थानों जैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, IMF और विश्व बैंक में सुधार की मांग करेगा।
  • आतंकवाद विरोधी और आर्थिक मजबूती: भारत आतंकवाद के खिलाफ कदम और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने पर जोर देगा।

17वें BRICS समिट में शामिल होने मोदी ब्राजील गए थे

17वां BRICS समिट 6-7 जुलाई, 2025 को ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुआ। ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा की अध्यक्षता में इस समिट का थीम था ‘ग्लोबल साउथ के लिए समावेशी और टिकाऊ सहयोग’।

इसमें ब्रिक्स के सदस्य देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूएई) और साझेदार देशों के नेता शामिल हुए थे। मोदी इसमें भाग लेने के लिए ब्राजील गए थे। ये 12वां था जब मोदी BRICS समिट में भाग ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘ग्लोबल साउथ के देश अक्सर डबल स्टैंडर्ड का शिकार रहे हैं। चाहे विकास हो, संसाधनों की बात हो, या सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की, ग्लोबल साउथ को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई है। इनके बिना, वैश्विक संस्थाएं ऐसे मोबाइल की तरह हैं, जिसमें सिम कार्ड तो है लेकिन नेटवर्क नहीं है।’

PM मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा और BRICS देशों के नेताओं ने ग्रुप फोटो खिंचवाई।

PM मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा और BRICS देशों के नेताओं ने ग्रुप फोटो खिंचवाई।

BRICS क्या है?

BRICS 11 प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है। इनमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब और इंडोनेशिया शामिल हैं।

इसका मकसद इन देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें शुरुआत में 4 देश थे, जिसे BRIC कहा जाता था। यह नाम 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने दिया था।

तब उन्होंने कहा था कि ब्राजील, रूस, भारत और चीन आने वाले दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे। बाद में ये देश एक साथ आए और इस नाम को अपनाया।

BRICS को बनाने की जरूरत और आगे का सफर

सोवियत संघ के पतन के बाद और 2000 के शुरुआती सालों में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पश्चिमी देशों का दबदबा था। अमेरिका का डॉलर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) फैसले करती थीं।

इस अमेरिकी दबदबे को कम करने के लिए रूस, भारत, चीन और ब्राजील BRIC के तौर पर साथ आए, जो बाद में BRICS हो गया। इन देशों का मकसद ग्लोबल साउथ यानी विकासशील और गरीब देशों की आवाज को मजबूती देना था।

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