Pitru Paksha tratiya and Chaturthi fast is on 10 September, significance of chaturthi vrat in hindi | पितृ पक्ष और चतुर्थी व्रत का योग 10 सितंबर को: सुबह और शाम को करें भगवान गणेश की पूजा, दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान

Actionpunjab
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20 मिनट पहले

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बुधवार, 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी व्रत किया जाएगा। अभी पितृ पक्ष चल रहा है और इस पक्ष की चतुर्थी का महत्व काफी अधिक है। इस तिथि पर पितरों के लिए धर्म-कर्म करने और भगवान गणेश की पूजा-व्रत करने का शुभ योग बन रहा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, 10 सितंबर की शाम 6 बजे तक आश्विन कृष्ण तृतीया तिथि रहेगी, इस वजह से इस दिन तृतीया तिथि के श्राद्ध कर्म किए जाएंगे। शाम 6 बजे के बाद चतुर्थी तिथि शुरू होगी। गणेश चतुर्थी व्रत में चंद्र दर्शन करने की परंपरा है, 10 सितंबर की रात में चंद्र उदय चतुर्थी तिथि में ही होगा। अगले दिन 11 सितंबर की दोपहर में करीब 3.40 बजे के बाद पंचमी तिथि शुरू होगी और इस दिन चंद्र उदय पंचमी तिथि में ही होगा। इसलिए 10 सितंबर को चतुर्थी व्रत करना श्रेष्ठ है।

बुधवार को तृतीया का श्राद्ध – पितृ पक्ष की तृतीया पर उन पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर्म करें, जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की तृतीया तिथि पर हुई हो।

चतुर्थी व्रत से जुड़ी खास बातें

  • चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणपति हैं, क्योंकि इसी तिथि पर उनका अवतार हुआ था। जो लोग गणेश जी को अपना आराध्य मानते हैं, वे लोग सालभर की सभी चतुर्थियों पर व्रत-उपवास करते हैं।
  • एक साल में कुल 24 चतुर्थियां आती हैं और जब किसी वर्ष में अधिकमास आता है तो इस तिथि की संख्या 26 हो जाती है।
  • चतुर्थी व्रत घर-परिवार की सुख-समृद्धि बनाए रखने की कामना से किया जाता है। महिला और पुरुष दोनों ये व्रत कर सकते हैं।
  • जो लोग चतुर्थी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें सुबह गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और पूजा में भगवान के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
  • व्रत करने वाले भक्त को दिनभर अन्न का त्याग करना चाहिए। जो लोग दिनभर भूखे नहीं रह पाते हैं, वे एक समय फलाहार कर सकते हैं, दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। दिन में गणेश जी की कथाएं पढ़ें-सुनें। गणेश जी के मंत्रों का जप करें। ग्रंथों का पाठ करें।
  • चतुर्थी व्रत में चंद्र पूजा करने की परंपरा है। शाम को सूर्यास्त के बाद जब चंद्र उदय हो, तब चंद्र देव के दर्शन करें और अर्घ्य अर्पित करें। चंद्र देव की पूजा करें।
  • शाम को चंद्र पूजा के साथ ही घर के मंदिर में गणेश जी की पूजा करें। पूजा के बाद व्रत का पारण करें। ये व्रत करने की सामान्य विधि है। इस तरह चतुर्थी व्रत पूरा हो जाता है।
  • इस बार बुधवार को चतुर्थी तिथि है, इसलिए इस दिन बुध ग्रह की भी पूजा करनी चाहिए। बुध ग्रह के मंत्र ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः का जप करें। बुध ग्रह के लिए हरे मूंग का दान करें।

दोपहर में करें पितरों के लिए धूप-ध्यान

पितरों के श्राद्ध करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का ही माना जाता है। दोपहर में करीब 12 बजे गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और जब कंडे से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें, पितरों का ध्यान करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को चढ़ाएं।

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