Pitru Paksha till 21 September 2025, significance of pitru paksha, Pitru Paksha shraddha vidhi, rituals about pitru paksha | पितृ पक्ष 21 सितंबर तक: जानिए पितृ पक्ष में श्राद्ध और धूप-ध्यान क्यों करना चाहिए? कौन किसके लिए श्राद्ध कर सकता है?

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23 घंटे पहले

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आज पितृ पक्ष की द्वितीया तिथि है। आज उन मृत लोगों का श्राद्ध किया जाएगा, जिनकी मृत्यु तिथि द्वितीया है। पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त श्राद्ध, धूप-ध्यान, पिंडदान, तर्पण आदि धर्म-कर्म करने की परंपरा है। हमारे घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देवता माना जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में मृत सदस्यों को याद करते हुए धूप-ध्यान करने से पितरों की कृपा मिलती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

अब जानिए पितृ पक्ष में श्राद्ध और धूप-ध्यान क्यों करना चाहिए?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में इंसानों के लिए तीन ऋण बताए गए हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण।

देव ऋण भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, श्रीराम और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने से उतरता है।

ऋषि ऋण शिव पूजा करने से और साधु-संतों को दान-पुण्य करने से उतरता है। साधु-संतों की संगत करनी चाहिए और सत्संग सुनना चाहिए। संतों के उपदेशों को जीवन में उतारने पर ये ऋण उतरता है।

पितृ ऋण पितृ पक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, धूप-ध्यान और तर्पण करने से उतरता है। एक साल में 12 अमावस्या तिथि आती है और इस तिथि पर भी पितरों के लिए धर्म-कर्म करना चाहिए। घर-परिवार के मृत सदस्यों यानी पितरों की आत्म शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है।

पितृ पक्ष में पितर देव आते हैं धरती पर

मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितृ लोक से घर-परिवार के पितर देव अपने वंशजों को देखने के लिए धरती पर आते हैं और हमारे द्वारा किए गए श्राद्ध और धूप-ध्यान से तृप्त होकर अपने धाम पितृ लोक लौट जाते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान करने की परंपरा है। जो लोग पितरों के लिए ये धर्म-कर्म नहीं करते हैं, उनके पितर देव अतृप्त रहते हैं और दुखी होकर पितृ लोक लौटते हैं।

कौन किसका श्राद्ध कर सकता है?

  • किसी मृत व्यक्ति का कोई पुत्र न हो तो भाई-भतीजे, माता के कुल के लोग यानी मामा या ममेरा भाई या शिष्य श्राद्ध कर सकते हैं। इनमें से कोई भी न हो तो कुल-पुरोहित या गुरु श्राद्ध कर सकते हैं।
  • पिता के लिए श्राद्ध, पिंड दान और जल-तर्पण पुत्र को करना चाहिए। पुत्र न हो तो पत्नी कर सकती है और पत्नी भी न हो तो सगा भाई श्राद्ध कर सकता है।
  • मृत व्यक्ति के पुत्र, पौत्र, भाई की संतान श्राद्ध कर सकते हैं।
  • किसी मृत व्यक्ति का पुत्र न हो तो उसकी बेटी का पुत्र भी श्राद्ध कर सकता है।
  • माता-पिता कुंवारी मृत कन्या का श्राद्ध कर सकते हैं। शादीशुदा मृत बेटी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो तो उसका पिता श्राद्ध कर सकता है।
  • बेटी का बेटा और नाना एक-दूसरे के लिए कर सकते हैं। दामाद और ससुर भी एक-दूसरे के लिए श्राद्ध कर सकते हैं। बहू अपनी मृत सास के लिए श्राद्ध कर सकती है।

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