नई दिल्ली31 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की। उन्हें उपराष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी।
सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति होंगे। NDA उम्मीदवार राधाकृष्णन ने I.N.D.I.A. कैंडिडेट सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया। मंगलवार को हुए मतदान में 788 में से 767 (98.2%) सांसदों ने वोट डाला। राधाकृष्णन को 452 वोट और सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। 15 वोट अमान्य करार दिए गए।
चुनाव में कम से कम 14 विपक्षी सांसदों के NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की अटकलें हैं। दरअसल, NDA के पास 427 सांसद थे। वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों ने राधाकृष्णन को समर्थन दिया था। इन्हें जोड़कर 438 वोट ही बनते हैं। लेकिन राधाकृष्णन को 14 ज्यादा यानी 452 वोट मिले हैं।
भाजपा का दावा है कि विपक्षी दलों की तरफ से 15 क्रॉस वोटिंग भी हुई है और कुछ विपक्षी सांसदों ने जानबूझकर अमान्य वोट डाले। वोटिंग के बाद विपक्ष ने अपने सभी 315 सांसद एकजुट होने का दावा किया। हालांकि, नतीजों में ऐसा नहीं दिखा।
राधाकृष्णन अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में दो बार कोयंबटूर से सांसद बने। वे एक बार केंद्रीय मंत्री बनने के बेहद करीब थे। लेकिन एक जैसे नाम के कारण पार्टी प्रबंधकों से चूक हुई और एक अन्य नेता पोन राधाकृष्णन को पद सौंप दिया गया था।


भाजपा दक्षिण से क्यों लेकर आई थी उपराष्ट्रपति चेहरा, 2 वजहें…
- तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होगा। इस बार भाजपा की नजर वोट शेयर बढ़ाने पर होगी। 2021 में 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 4 सीटें जीती थीं। पार्टी का वोट शेयर केवल 2.6 प्रतिशत रहा था।
- केरल में 140 सीट पर 2026 में विधानसभा चुनाव होना है। मौजूदा विधानसभा में भाजपा का कोई सदस्य नहीं है। 2021 में हुए चुनाव में भाजपा एक सीट भी जीत नहीं पाई थी। इस बार के चुनाव में भाजपा को खाता खोलने की उम्मीद होगी।
उपराष्ट्रपति चुनाव में विचारधारा के आधार पर पड़े वोट
उपराष्ट्रपति चुनाव इस बार विचारधारा आधारित रहा। आमतौर पर इस तरह के चुनाव में भाषा या क्षेत्र की पहचान भी असर डालती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। NDA कैंडिडेट राधाकृष्णन को तमिलनाडु की सबसे बड़ी पार्टी DMK ने एक भी वोट नहीं दिया, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार रेड्डी तेलुगु भाषी होने के बावजूद आंध्र प्रदेश की टीडीपी और वाईएसआरसीपी ने भी वोट नहीं दिया।
दोनों कैंडिडेट्स को उनके अपने राजनीतिक ब्लॉक यानी NDA और INDIA के वोट मिले। तमिलनाडु में अगले साल चुनाव हैं, लेकिन DMK ने राधाकृष्णन को वोट न देकर यह संदेश दिया कि जो भी पार्टी NDA के साथ है, वह तमिलों के साथ जरूरी नहीं है।
वहीं टीडीपी के एक नेता ने कहा- व्हिप न होने के बाद भी NDA को वोट देने का मतलब साफ है कि सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी के नेतृत्व की संगठन पर मजबूत पकड़ है। BJD और BRS जैसी पार्टियां इस चुनाव में हिस्सा नहीं लीं, लेकिन उनके सांसद भी पार्टी के फैसले के अनुसार वोट देने में बंधे रहे।

राधाकृष्णन की जीत पर रिएक्शन…
- हार के बाद सुदर्शन रेड्डी ने कहा- आज, सांसदों ने भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में अपना फैसला सुना दिया है। मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अटूट विश्वास के साथ इस परिणाम को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन को उनके कार्यकाल की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं।
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- यह एक चुनाव से कहीं बढ़कर था, यह विचारधारा की लड़ाई थी। हमें उम्मीद है कि नए निर्वाचित उपराष्ट्रपति संसदीय परंपराओं के मूल्यों को बनाए रखेंगे। विपक्ष के लिए समान स्थान और सम्मान सुनिश्चित करेंगे, और सत्ताधारी दल के दबाव में नहीं आएंगे।
- पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- राधाकृष्णन जी को 2025 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विजयी होने पर बधाई। उनका जीवन सदैव समाज सेवा और गरीबों व वंचितों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित रहा है। मुझे विश्वास है कि वे एक बेहतर उपराष्ट्रपति होंगे, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों को सुदृढ़ करेंगे।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा- राधाकृष्णन जी को बधाई। सार्वजनिक जीवन में दशकों के समृद्ध अनुभव से राष्ट्र को महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। आपके सफल और प्रभावशाली कार्यकाल के लिए मैं शुभकामनाएं प्रेषित करती हूं।


अब जानिए नए उपराष्ट्रपति बनने वाले सीपी राधाकृष्णन के बारे में…
16 साल की उम्र में RSS से जुड़े
सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है। वे 16 साल की उम्र से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं। राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ सीपी राधाकृष्णन। (फाइल फोटो)
2 बार कोयम्बटूर से सांसद, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष रहे
राधाकृष्णन ने 1998 और 1999 में कोयम्बटूर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। 1998 में उन्होंने 1.5 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। 1999 में भी वे 55,000 वोटों से जीते।
राधाकृष्णन एक बार केंद्रीय मंत्री बनने के बेहद करीब थे। लेकिन एक जैसे नाम के कारण पार्टी प्रबंधकों से चूक हुई और एक अन्य नेता पोन राधाकृष्णन को पद सौंप दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने शिकायत नहीं की और संगठन में सक्रिय रहे।
राधाकृष्णन 2004 से 2007 तक तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष रहे और 19,000 किमी लंबी रथयात्रा निकाली। इसमें नदियों को जोड़ने, आतंकवाद खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने और नशे के खिलाफ आवाज उठाई। 2020 से 2022 तक वे भाजपा के केरल प्रभारी रहे।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के साथ सीपी राधाकृष्णन। उनके तमिलनाडु में सभी दलों से अच्छे संबंध माने जाते हैं। (फाइल फोटो)
संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया
2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में शामिल हुए और ताइवान गए पहले संसदीय दल के सदस्य भी रहे। 2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कोयर बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। उनके कार्यकाल में भारत का कोयर निर्यात रिकॉर्ड 2,532 करोड़ रुपए तक पहुंचा।

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ के साथ NDA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार राधाकृष्णन। (फाइल फोटो)
राधाकृष्णन के 1 बेटे और बेटी
सीपी राधाकृष्णन की पत्नी का नाम श्रीमती आर सुमति है। उनके एक बेटा और एक बेटी हैं। हालांकि उनके बेटे और बेटी के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।

राधाकृष्णन बेटे-बहू और पोता-पोती के साथ रजनीकांत से मिलते हुए। (फाइल फोटो)

———————————————-
ये खबर भी पढ़ें…
धनखड़ के पास थे 2 विकल्प- इस्तीफा या नो-कॉन्फिडेंस मोशन:करीबियों का दावा- 40 किलो जलेबी मंगाई, अगले दिन रिजाइन; सही समय पर बोलेंगे

21 जुलाई की बात है, उसी दिन संसद का मानसून सेशन शुरू हुआ था। जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के सभापति के तौर पर दिनभर सदन की कार्यवाही चलाई। फिर उसी रात अचानक उनके उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की खबर आ गई। पद छोड़ने के पीछे उन्होंने खराब सेहत का हवाला दिया। पूरी खबर पढ़ें…