Delhi High Court; Rape Case Judgement | Woman Vs Partner Marital Status | दिल्ली HC में महिला की दुष्कर्म याचिका खारिज की: कहा- स्वतंत्र-शिक्षित महिला का शादीशुदा से प्रेम संबंध शोषण नहीं, ये स्वेच्छा से हुआ

Actionpunjab
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नई दिल्ली3 घंटे पहले

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दिल्ली HC ने कहा कि दुष्कर्म कानून ऐसे मामलों के लिए नहीं बना है, जहां दो वयस्क अपनी मर्जी से रिश्ते में आते हैं। - Dainik Bhaskar

दिल्ली HC ने कहा कि दुष्कर्म कानून ऐसे मामलों के लिए नहीं बना है, जहां दो वयस्क अपनी मर्जी से रिश्ते में आते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जब कोई शिक्षित और स्वतंत्र महिला अपने साथी की शादीशुदा स्थिति जानने के बावजूद उसके साथ प्रेम संबंध में रहती है, तो उसे कानून में गुमराह या शोषित नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला खारिज करते हुए की।

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा- 2 वयस्कों के बीच सहमति से बना रिश्ता अगर बाद में टूटता है, तो उसे दुष्कर्म का मामला नहीं बनाया जा सकता। यह न्याय की संवैधानिक भावना और यौन अपराध कानून के उद्देश्य के खिलाफ होगा।

कोर्ट रूम लाइव…

शिकायतकर्ता: आरोपी ने मेरे साथ कई बार दुष्कर्म किया। बाद में उसने किसी और महिला से शादी कर ली।

कोर्ट ने पाया कि दोनों ने स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाए…

जस्टिस शर्मा: यह साफ है कि दोनों के बीच संबंध सहमति से थे, न कि शादी के झूठे वादे के कारण। शिकायतकर्ता की यौन उत्पीड़न, धोखाधड़ी की याचिका खारिज की जाती है।

केरल व कर्नाटक हाई कोर्ट में भी आ चुके हैं ऐसे मामले

  • केरल कोर्ट: धोखे से संबंध बनाने का लगाया था आरोप केरल हाई कोर्ट ने इसी साल फरवरी में एक निर्णय में कहा था कि कोई महिला पहले से विवाहित है तो ‘शादी का झांसा देकर दुष्कर्म’ का आरोप टिक नहीं सकता।दरअसल, विवाहित महिला ने एक व्यक्ति पर आरोप लगाया कि उसने शादी का वादा करके उससे शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था।
  • कर्नाटक कोर्ट: मंगेतर पर दुष्कर्म का आरोप निराधार इससे पूर्व कर्नाटक हाई कोर्ट में जून 2024 में महिला ने अपने होने वाले पति के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया गया था। इसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। महिला का आरोप था कि सगाई समारोह के बाद आरोपी ने शादी का वादा कर उससे शारीरिक संबंध बनाए। सात महीने गुजरने के बाद आरोपी ने शादी से इनकार कर दिया।

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दिल्ली हाईकोर्ट ने 9 सितंबर को कहा कि भले ही सख्त कानून बने हों, लेकिन ऑफिस में महिलाओं के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट अभी भी हो रहा है। क्यों पुरुषों की सोच नहीं बदली है। वर्क-प्लेस पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का जम्मू-कश्मीर से जुड़े मामले में सुनवाई को दौरान जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा- एक महिला चाहे घर हो या ऑफिस हमेशा डर, शिष्टाचार और माफी के बीच जीती है। पूरी खबर पढ़ें…

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