पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट प्रतीकात्मक फोटो।
हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर 19 में विस्थापित डेयरी मालिकों को वैकल्पिक जगह आवंटित करने के लिए हरियाणा राज्य को निर्देश जारी किए जाने के लगभग 16 साल बाद भी कार्रवाई नहीं होने से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही 2009 के अपन
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जस्टिस शर्मा ने एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य के नवीनतम हलफनामे को खारिज करते हुए यह निर्देश दिया कि आगे की देरी होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने 2026 की प्लानिंग दाखिल की
जस्टिस ने पाया कि आईएएस अधिकारी गुप्ता द्वारा दायर हलफनामे में 2026 तक अनुपालन बढ़ाने वाली एक और कार्य योजना दिखाई गई है। पीठ ने इसे स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि आज तक कोई अनुपालन नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा, हलफनामे से पता चलता है कि अनुपालन के लिए 2026 तक की एक और कार्ययोजना है, जिसका अर्थ है कि आदेश का पालन 2026 में किया जाएगा।
8 सितंबर का हलफनामा रिकॉर्ड में नहीं लिया जा सकता क्योंकि इसमें कोई अनुपालन नहीं है और इसे अस्वीकार किया जाता है। जस्टिस शर्मा ने कहा कि 2007 में दायर एक सिविल रिट याचिका में पारित 29 अप्रैल, 2009 के आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना याचिका दायर की गई थी।
तीन हफ्ते का सरकार को मौका
कोर्ट ने टिप्पणी की, “2009 से अब तक 16 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक कोई अनुपालन नहीं हुआ है।” साथ ही, अधिकारी को निर्देशों को लागू करने के लिए तीन हफ्ते का आखिरी मौका दिया। यह मामला पीठ के समक्ष तब लाया गया जब एक प्रभावित व्यक्ति ने 2009 के आदेश का लगातार पालन न करने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
यहां पढ़िए क्या है पूरा मामला…
2007 में दायर की गई रिट
पंचकूला के सेक्टर 19 निवासी प्यारे लाल ने पंचकूला की तत्कालीन उपायुक्त मोनिका गुप्ता के खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम के प्रावधानों के तहत याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने 29 अप्रैल, 2009 के फैसले को जानबूझकर लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। पीठ को बताया गया कि मूल रिट याचिका 2007 में दायर की गई थी, जब पंचकूला के सेक्टर 5 के विकास के लिए जिन निवासियों की गांव की जमीन अधिग्रहित की गई थी, उन्हें सेक्टर 19 में प्लॉट आवंटित किए गए थे।
हाईकोर्ट ने कमेटी बनाने के निर्देश दिए
कई लोग अपने घरों में डेयरी और छोटी दुकानें चलाते रहे, लेकिन अधिकारियों ने आवासीय परिसरों के दुरुपयोग के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। हाईकोर्ट ने तब उपायुक्त को डेयरी मालिकों के लिए वैकल्पिक स्थलों की पहचान करने और दो महीने के भीतर राज्य सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए तुरंत एक समिति की बैठक बुलाने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार को इसके बाद तीन महीने के भीतर अंतिम निर्णय लेने का भी निर्देश दिया गया था।
नई अवमानना रिट दायर की गई
नई अवमानना याचिका के अनुसार, 16 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद वेकल्पिक स्थल आवंटित नहीं किए गए। प्यारे लाल ने तर्क दिया कि उन्होंने हाल ही में 28 जून, 2022 को एक अभ्यावेदन भेजकर अनुपालन न होने की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।पीठ को बताया गया कि संबंधित प्राधिकारियों ने एक पिछली अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान दलील दी थी कि ज़मीन पहले ही चिन्हित कर ली गई है और केवल विकास प्रक्रिया लंबित है।