Husband Vs Wife Qualification; Orissa High Court Maintenance Case | ओडिशा हाईकोर्ट बोला- सभी पढ़ी-लिखी पत्नियां पति पर बोझ नहीं: उन्हें बेकार वर्ग कहना गलत; बेटी की देखभाल पिता की जिम्मेदारी

Actionpunjab
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भुवनेश्वरकुछ ही क्षण पहले

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ओडिशा हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी की इनकम के सबूत नहीं हैं, तो यह मान लेना गलत है कि सभी पढ़ी-लिखी पत्नियां पति के पैसों पर जीना चाहती हैं। उन्हें काम न करने वाली महिलाएं यानी ‘बेकार वर्ग’ कहना भी गलत है।

कोर्ट ने माना कि पति ये साबित नहीं कर पाया कि पत्नी के पास परमानेंट इनकम है। उसने कोई दस्तावेज या सबूत नहीं दिया जिससे पता चले कि पत्नी कितने मामलों में वकालत कर रही है और कितना कमा रही है।

इन सभी तर्कों और तथ्यों को देखते हुए, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया। और कहा कि ‘अब पति को पत्नी और बेटी दोनों के लिए हर महीने 10,000 रुपए देने होंगे।’

अब पूरा मामला समझिए

यह मामला बारगढ़ का है। तलाक के केस में पति जी देवेंद्र राव ने अपनी पत्नी और बेटी को गुजारा भत्ता देने से मना कर दिया। फैमिकोर्ट में दलील दी गई कि उनकी पत्नी पढ़ी लिखी है। वह एमए, एलएलबी है। टीचर और LIC एजेंट है, इसलिए उसे गुजारा भत्ता का हक नहीं है। उनकी बेटी एडल्ट हो चुकी है। इसलिए सेक्शन 125 CrPC के अंतर्गत मेनटेनेंस नहीं मांग सकती।

फैमिली कोर्ट ने आदेश में कहा कि 2012 से याचिकाकर्ता हर माह पत्नी और बेटी को 5-5 हजार यानी 10,000 का भुगतान करे। इसके बाद देवेंद्र ने फैमिली कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट चुनौती दी।

हाईकोर्ट ने कहा- पति ने खुद तलाक लिया

पति ने याचिका में कहा था कि उसकी पत्नी पढ़ी-लिखी है और उससे ज्यादा कमाती है। उसने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी अपनी इच्छा से घर छोड़कर चली गई है, इसलिए वह मेंटनेंस की हकदार नहीं है। वहीं इस मामले में पत्नी ने कहा कि वह वकील जरूर हैं, लेकिन उनकी कमाई बहुत कम है। साथ ही उन्हें लॉ पढ़ रही बेटी की पढ़ाई का और अन्य खर्च भी उठाना पड़ता है। पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने दूसरी शादी कर ली है।

हाईकोर्ट ने कहा- सिर्फ शिक्षित होना यह साबित नहीं करता कि महिला जानबूझकर काम नहीं कर रही या पति पर बोझ बनकर रहना चाहती है। जब तक ठोस सबूत न हों तब तक ऐसी सोच रखना गलत है। उसने पति की दूसरी शादी पर भी आपत्ति दर्ज नहीं की है।। इसलिए उसे अलग रहने का कानूनी आधार है। फिर पति खुद तलाक की अर्जी दे चुका है। अब यह तर्क देना कि पत्नी ने घर छोड़ दिया वाली दलील से कोई फायदा नहीं मिल सकता।

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