Trump administration proposes new H-1B visa process favoring higher-skilled, better-paid workers | H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम को खत्म करने जा रहे ट्रम्प: अब मोटी सैलरी से चयन, करीब ₹1.44 करोड़ के पैकेज वाले को 4 मौके मिलेंगे

Actionpunjab
5 Min Read


  • Hindi News
  • International
  • Trump Administration Proposes New H 1B Visa Process Favoring Higher skilled, Better paid Workers

वॉशिंगटन डीसी3 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

ट्रम्प प्रशासन ने मंगलवार को H-1B वीजा चयन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया है। इसके तहत अमेरिका में H-1B वीजा पाने के नियम बदल सकते हैं। अभी तक यह वीजा लॉटरी सिस्टम के जरिए मिलता है, लेकिन नई योजना के मुताबिक अब ज्यादा वेतन वाली नौकरियों को प्राथमिकता दी जाएगी। मतलब अगर किसी साल आवेदन 85,000 की तय सीमा से ज्यादा आते हैं, तो उन लोगों के चुने जाने की संभावना ज्यादा होगी, जिनकी नौकरी में वेतन ऊंचा है।

नए नियम के तहत सभी उम्मीदवारों को लेबर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के आधार पर चार सैलरी कैटेगरी में रखा जाएगा। सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले, जिन्हें लगभग 1,62,500 डॉलर (करीब 1.44 करोड़ रुपए) सालाना वेतन मिलता है, वे लॉटरी में चार बार शामिल होंगे। सबसे कम सैलरी वाले सिर्फ एक बार शामिल होंगे। इसका मकसद है कि हाई स्किल्ड और हाई सैलरी वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता मिले।

हाई सैलरी सिस्टम के आधार पर वीजा देने का प्रस्ताव फेडरल रजिस्टर में जारी हो चुका है। इस पर 30 दिन तक जनता की राय ली जाएगी। मंजूरी मिलने के बाद व्यवस्था अगले वीजा साइकिल (अप्रैल 2026) से लागू हो सकती है।

अमेरिका H-1B वीजा के लिए ₹88 लाख वसूलेगा

इससे पहले ट्रम्प सरकार ने 22 सितंबर से नए H-1B आवेदन पर 100,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) फीस कर दी। पहले यह 6 लाख रुपए के करीब लगती थी।

ट्रम्प जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद से ही सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी पर काम कर रहे हैं। इसमें बड़े पैमाने पर निर्वासन, अवैध अप्रवासियों के बच्चों की नागरिकता रोकने की कोशिश और अब H-1B वीजा में बदलाव शामिल हैं।

यह वीजा खासकर टेक और आउटसोर्सिंग कंपनियों में सबसे लोकप्रिय है, क्योंकि वे विदेशी हाई स्किल्ड कर्मचारियों को अमेरिका लाने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं।

नई योजना को लागू करने में अभी वक्त लगेगा। इसे पूरी तरह लागू करने में महीनों या साल भी लग सकते हैं। नोटिस में कहा गया है कि अगर सबकुछ तय समय पर होता है, तो यह नियम 2026 की लॉटरी से पहले लागू हो सकता है।

भारतीयों पर क्या असर?

एंट्री लेवल इंजीनियर और नए ग्रेजुएट्स के लिए वीजा मिलना कठिन होगा, क्योंकि वेतन कम होता है। हाई स्किल (AI, डेटा साइंस, चिप डिजाइन, साइबर सिक्योरिटी) वाले जिनकी सैलरी $1.5 लाख+ (करीब 1.33 करोड़ रु.) है, उन्हें फायदा होगा। भारतीय कंपनियों का क्या? टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो जैसी कंपनियां ज्यादातर एंट्री और मिड लेवल कर्मचारियों को ही भेजती हैं, उन्हें मुश्किल होगी। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन जैसी कंपनियां हाई स्किल कर्मचारी लेती हैं, उन्हें फायदा मिलेगा।

पहले भी वीजा बदलने की कोशिश कर चुके ट्रम्प

ट्रम्प ने 2017 से 2021 के अपने पहले कार्यकाल में भी H-1B वीजा प्रक्रिया को बदलने की कोशिश की थी, लेकिन अदालतों और समय की कमी के कारण वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। इसके बाद जो बाइडेन राष्ट्रपति बने तो उन्होंने ऐसा नहीं होने दिया।

सरकारी अनुमान बताते हैं कि अगर यह नियम लागू होता है, तो 2026 से H-1B कर्मचारियों का कुल वेतन 502 मिलियन डॉलर बढ़ जाएगा। आगे चलकर 2027 में यह बढ़ोतरी 1 बिलियन डॉलर, 2028 में 1.5 बिलियन डॉलर और 2029 से 2035 तक 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। हालांकि, इससे करीब 5,200 छोटे व्यवसायों पर बुरा असर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें सस्ते श्रमिकों की कमी होगी और वे आर्थिक नुकसान झेल सकते हैं।

———————————–

अमेरिका बोला- H-1B की बढ़ी फीस एक बार ही लगेगी:एप्लिकेशन के समय ₹88 लाख देने होंगे; अभी 3 साल के लिए करीब ₹6 लाख देने होते थे

अमेरिकी H-1B वीजा फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपए) करने के फैसले पर ट्रम्प प्रशासन ने शनिवार देर रात स्पष्टीकरण जारी किया। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने X पर लिखा- बढ़ी हुई फीस सिर्फ वन टाइम है, जो एप्लिकेशन देते समय चुकानी होगी। पूरी खबर यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…
Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *