उचाना मंडी में धरने पर बैठे पूर्व प्रधान व संगठन पदाधिकारी।
जींद जिले के उचाना की नई अतिरिक्त अनाज मंडी में पीआर धान की खरीद न होने से नाराज किसान संगठनों ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा उचाना धरना कमेटी के आजाद पालवां ने धरने का नेतृत्व किया है।
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किसानों के साथ धोखाधड़ी बताया
पालवां ने आरोप लगाया कि सरकार भले ही धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करने का दावा कर रही है, लेकिन उचाना मंडी में पीआर धान 1900 से 2000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रही है, जबकि सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी 2389 रुपए है। उन्होंने इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी बताया।

मंडी पूर्व प्रधान द्वारा लगाया गया बैनर।
दूसरी मंडियों में जा रही धान की फसल
मंडी पूर्व प्रधान बलराज ने कहा कि यहां पर रेट कम होने के कारण यहां आने वाली पर धान दूसरी मंडियों में चली गई। जब पूरी धान दूसरी मंडी में चली जाएगी, तो यहां मंडी में बैठे आढ़ती कैसे काम चलाएंगे। यहां पर पूरे दाम पर धान खरीदी जाए और अतिरिक्त मिलरों को भी यहां पर नियुक्त किया जाए, क्योंकि अभी उचाना की अनाज मंडी में दो ही मिलर हैं। मिलर आने से किसानों किसानों को धान के पूरे रेट मिलेंगे।
पूरी कीमत पर भुगतान की मांग
किसानों की मांग है कि मंडी में पहले से बेची 15 हजार क्विंटल धान के लिए किसानों को एमएसपी के अनुसार पूरी कीमत का भुगतान किया जाए। साथ ही भविष्य में होने वाली धान की खरीद 2389 रुपए प्रति क्विंटल के निर्धारित एमएसपी पर ही की जाए। पालवां ने मुख्यमंत्री के चुनाव के समय किए गए 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने के वादे को भी पूरा करने की मांग की।
एक गुप्त समझौते का भी आरोप
आजाद पालवां ने मंडी एसोसिएशन और मिलरों के बीच एक गुप्त समझौते का भी आरोप लगाया, जिसके तहत धान 2270 रुपए में खरीदी जानी थी, लेकिन यह भी नहीं हो रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि धान के खरीद मूल्य में आए 300 से 400 रुपए के अंतर की विजिलेंस जांच करवाई जाए, ताकि यह पता चल सके कि यह पैसा किसकी जेब में गया है।
मार्केट कमेटी सचिव ने आरोप बताए निराधार
मार्केट कमेटी सचिव ने कहा कि साफ, सुथरी व सुखी धान जो सरकारी गुणवत्ता को पूरी करती है, उसको एमएसपी पर खरीदा जा रहा है। संगठनों द्वारा जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वह निराधार हैं ।17 प्रतिशत नमी की धान मंडी में आते ही खरीदी जा रही है।