Shivranjani Tiwari takes refuge in Adarsh Shastri who made the form | कैंसर ठीक करने का दावा, लेकिन चौपाई तक नहीं आती: रीवा में बागेश्वर धाम की तर्ज पर दिव्य दरबार; हनुमान चालीसा तक नहीं सुना पाए बाबा – Rewa News

Actionpunjab
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भास्कर टीम ने बाबा की गतिविधियों को नजदीक से देखा।

पंडाल में बड़ी संख्या में भक्त जमा हैं। तभी मंच पर 21-22 साल का एक युवक आता है और तभी सामने बैठे लोग जयकारे लगाने लगते हैं। युवक के बोलने का तरीका, शब्दों का चयन, पहनावा- यहां तक कि गले में पहनी माला, पैरों में कड़े और हाथ में छोटी गदा भी बिल्कुल धीरे

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दावा किया जाता है कि यहां कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का केवल भभूती से हो जाता है। सवाल उठता है- क्या यह कथित बाबा आदर्श शास्त्री खुद को धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसा दिखाकर सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहा है या इसके पीछे कोई और कहानी है? बाबा के पर्चा बनाने के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिन्हें देख छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत कई राज्यों से लोग यहां पहुंचने लगे हैं।

सच्चाई जानने दैनिक भास्कर की टीम रीवा मुख्यालय से करीब 62 किलोमीटर दूर सगमा गांव पहुंची। जहां एक हनुमान मंदिर के पास बाबा का दरबार दिखाई दिया। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाबा हर मंगलवार और शनिवार को ‘दिव्य दरबार’ लगाते हैं।

यहां पर्चा बनाकर भक्तों की समस्याओं का समाधान किया जाता है। भूत-भविष्य की बातें भी बताई जाती हैं। जब टीम दरबार पहुंचती है, तो कई राज्यों से भक्त मौजूद मिले। उनमें लगभग 70% महिलाएं, 25% पुरुष और 5% बच्चे शामिल थे। टीम ने बाबा की गतिविधियों को नजदीक से देखा तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…

पहले देखिए दिव्य दरबार की तीन तस्वीरें…

बाबा के हा‌वभाव ठीक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की तरह होते हैं।

बाबा के हा‌वभाव ठीक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की तरह होते हैं।

यहां भी ठीक वैसा ही दरबार लगाया जाता है, जैसा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री लगाते हैं।

यहां भी ठीक वैसा ही दरबार लगाया जाता है, जैसा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री लगाते हैं।

शनिवार और मंगलवार को यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है।

शनिवार और मंगलवार को यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हजारों में होती है।

पेड़ से बांधते हैं मन्नत के धागे-नारियल भास्कर टीम मंगलवार दोपहर 12 बजे सिद्धेश्वर धाम पहुंची। चारों ओर नजर दौड़ाते हैं, तो अलग ही नजारा नजर आता है। मंदिर परिसर के आसपास 2-3 छोटी दुकानें लगी हैं। यहां प्रसाद, अगरबत्ती और पूजन सामग्री बेची जा रही है।

मंदिर क्षेत्र में एक पेड़ के नीचे हनुमान जी की छोटी मूर्ति दिखाई देती है और पास में बाबा का एक अलग वीआईपी कमरा भी। थोड़ी दूर पर बाबा की चमचमाती एक्सयूवी कार खड़ी दिखती है। कार बाबा के प्रभाव को जाहिर करती है। मंदिर परिसर के बीचोंबीच एक बड़ा बरगद का पेड़ है। लोग ने बताया इसे ‘प्रेतराज सरकार का पेड़’ कहते हैं।

इस पेड़ के चारों ओर और बाउंड्री पर लोग अपनी मन्नत पूरी होने की आशा में नारियल बांधते हैं।

इस पेड़ के चारों ओर और बाउंड्री पर लोग अपनी मन्नत पूरी होने की आशा में नारियल बांधते हैं।

पर्सनल असिस्टेंट ने आने का कारण पूछा हम बाबा के दिव्य दरबार वाले स्थान पर प्रवेश करने ही वाले होते हैं तभी हमें बाबा का पर्सनल असिस्टेंट मिलता है। उसने अपना नाम सनी सिंह चौहान बताया। सनी ने तुरंत भांप लिया कि हम पत्रकार हैं। उसकी भाषा और चेहरे के हावभाव में हल्की उलझन साफ नजर आई। इससे पहले कि हम वहां मौजूद अन्य लोगों से बातचीत कर पाते, सनी ने हमसे आने का कारण पूछा।

हम बताते हैं कि हम कवरेज के लिए आए हैं। इस पर वह पूछता है- “कैसा कवरेज?” इस पर हमने दिव्य दरबार देखने और बाबा से चर्चा करने की इच्छा जताई। सनी बताता है कि आज दिव्य दरबार दोपहर 1 बजे लगेगा। फिर वह हमें एक कमरे की ओर ले गया।

यहां हमारी मुलाकात एक अन्य शख्स, मनीष से कराई गई। सनी बताता है कि बाबा से मुलाकात कराने का जिम्मा मनीष के पास है। मनीष हमें वहां बैठने के लिए कहता है और कुछ देर इंतजार करने को कहता है। इसके बाद सनी वहां से चला जाता है।

मंदिर क्षेत्र में एक पेड़ के नीचे हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति स्थापित है।

मंदिर क्षेत्र में एक पेड़ के नीचे हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति स्थापित है।

नाम-स्थान नोट करने टिकट काउंटर जैसी व्यवस्था बैठे-बैठे हमें एक खिड़की दिखाई दी, जो बिल्कुल ट्रेन टिकट काउंटर जैसी लगी। हमने देखा कि यहां हर आने वाले व्यक्ति का नाम और स्थान नोट किया जा रहा है। यहां रुपए का लेनदेन होते भी दिखाई दिया। यह पूरी प्रक्रिया भास्कर की टीम कैमरे में रिकॉर्ड कर लेती है।

कुछ देर बाद वही शख्स, सनी सिंह चौहान, वापस आता है। वह बताता है कि बाबा ने दिव्य दरबार के बाद हमसे मिलने की स्वीकृति दी है। साथ ही कहता है कि चाहें तो हम दिव्य दरबार में बैठकर उसे देख सकते हैं। कमरे से बाहर निकलते हुए हम बाबा की टीम के एक सदस्य से बात करते हैं। हम प्रस्ताव रखते हैं कि अगर बाबा के पास सच में दिव्य शक्ति है, तो वह हमारी मर्जी से उठाए गए किसी अनजान व्यक्ति का पर्चा बनाकर उसकी सही जानकारी दें या फिर हमारे साथ आए कुछ लोगों की निजी बातें बिना पूछे बता दें।

हम अपनी बात समझा ही रहे होते हैं कि बाबा के स्टाफ से जुड़ा एक व्यक्ति साफ मना कर देता है। वह कहता है कि दरबार का नियम यही है- बाबा खुद अपनी मर्जी से लोगों को बुलाते हैं। किसी बाहरी निर्देश पर पर्चा नहीं बनता। आगे बढ़ते हैं। देखते हैं कि दरबार शुरू हो चुका है। कुछ देर बाद बाबा आदर्श शास्त्री अपने निजी कमरे से बाहर आते हैं। मुस्कुराते हुए हमारी ओर देखते हैं, फिर गद्दी पर जाकर बैठ जाते हैं। इसके बाद भजनों के साथ दिव्य दरबार की औपचारिक शुरुआत होती है।

इस तरह की खिड़की में आने वालों की डिटेल नोट की जाती है।

इस तरह की खिड़की में आने वालों की डिटेल नोट की जाती है।

15 मिनट भजन फिर दरबार की शुरुआत करीब 15 मिनट तक भजन गाए जाते हैं। इस दौरान बाबा का सोशल मीडिया हैंडलर भारत सिंह पूरे कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग करता है। वह रिकॉर्ड किए गए वीडियो को म्यूजिक और एडिटिंग के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड करता भी नजर आया। भजन खत्म होते ही बाबा दिव्य दरबार की औपचारिक शुरुआत करते हैं।

सबसे पहले एक बुजुर्ग व्यक्ति को बुलाया जाता है, जो जैतवारा क्षेत्र से आया है। बाबा उसे मानसिक अशांति, घर की परेशानियां और संतान की चिंता जैसी सामान्य समस्याएं बताते हैं। ये वे समस्याएं हैं, जो लगभग हर व्यक्ति के जीवन में होती हैं। फिर बाबा जल्दी से आशीर्वाद देते हैं और बुजुर्ग को विदा कर देते हैं।

इसके बाद सिहोरा से आईं आरती नाम की महिला को बुलाया जाता है। वह अपने 24 वर्षीय बेटे आकाश तिवारी के साथ आती हैं। आकाश की हालत देखकर साफ लगता है कि वह मंदबुद्धि है। लेकिन बाबा न तो लड़के का नाम बता पाए, न उसकी मां का। सिर्फ बच्चे के व्यवहार को देखकर उसे मंदबुद्धि बता दिया। सामान्य शब्दों में समस्या के समाधान का भरोसा दिलाते हैं। पड़ताल में यह भी सामने आता है कि बाबा बिना पूछे किसी का नाम, पता या विशेष जानकारी नहीं बता पाते।

दरबार में सभी को कुछ न कुछ ऐसी सामान्य समस्याएं बताई जाती हैं, जो लगभग हर परिवार या व्यक्ति के जीवन से जुड़ी होती हैं। यही कुछ सामान्य बातें भक्तों को प्रभावित करने का आधार बनती दिखाई देती हैं।

समाधान के नाम पर ‘री-राइट’ का खेल बाबा आदर्श शास्त्री पर्चे पर पहले ही कुछ आम समस्याएं लिख लेते, जो हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा हो सकती हैं। इसके बाद, जब दरबार में कोई व्यक्ति अपनी समस्या लेकर आता है, तो बाबा उसे अपनी बातों में उलझा देते।

फिर माइक के माध्यम से उस व्यक्ति से उसकी समस्याएं जानने के बाद, बाबा अपना पर्चा पढ़ने लगते। शुरुआत में वह कॉमन समस्याओं का जिक्र करते और ताली बजवाने की कोशिश करते। फिर, जब संबंधित व्यक्ति अपनी समस्या बताता है, तो बाबा पहले अपनी पर्ची को देखता है और वही समस्या फिर से दोहराता।

इसके बाद, बाबा ‘समाधान’ के नाम पर पर्चे में कुछ और जोड़ता और फिर उसे श्रद्धालु को सौंपते हुए चमत्कार करने का दावा करने लगते। यह पूरी प्रक्रिया दरबार में आए लोगों को प्रभावित करती तो लोग ताली बजाते। स्थानीय लोगों ने बताया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरह बाबा खुद को ‘सिद्धेश्वर धाम सरकार’ कहलवाना पसंद करते हैं। इसी नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी ब्रांडिंग भी कर चुका है।

मंच से बाबा बोले- लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न संदेह में रहते थे बाबा ने कथाक्रम के दौरान लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की भक्ति पर सवाल उठाए। दरअसल, बाबा यह बताना चाहते थे कि भगवान राम की कृपा किस पर होती है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न, समेत बाकी राजा भी संदेह में रहते थे। यही कारण था कि भगवान की पूरी कृपा उन पर नहीं पाई गई। भगवान की कृपा उसी पर होती है, जो पूरी आस्था और विश्वास के साथ उन्हें स्वीकार करता है।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरह बाबा खुद को 'सिद्धेश्वर धाम सरकार' कहलवाना पसंद करते हैं।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरह बाबा खुद को ‘सिद्धेश्वर धाम सरकार’ कहलवाना पसंद करते हैं।

कैंसर समेत बड़ी बीमारियों के इलाज का दावा बाबा आदर्श शास्त्री अपने दिव्य दरबार में कैंसर समेत बड़ी बीमारियों के इलाज का दावा करते हैं। उनका दावा है कि वे 65 फीसदी कैंसर मरीजों का इलाज कर चुके हैं। ऐसी कोई बीमारी नहीं है, जिसका इलाज दरबार में न होता हो। बाबा के मुताबिक, वे न तो कोई दवाई देते हैं, न ही जड़ी-बूटी। बस भभूती (हवन सामग्री) से इलाज कर देते हैं।

इधर, डॉक्टर्स का कहना है कि यह दावा कुछ भक्तों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। कई लोग बाबा के दरबार के चक्कर में अस्पताल और डॉक्टरों के पास जाना छोड़ चुके हैं और इलाज के लिए बाबा के पास आ रहे हैं।

कबूला- ‘बिना किताब हनुमान चालीसा तक नहीं आती’ भास्कर के सवालों के बाद बाबा आदर्श शास्त्री ने खुद ही एक चौंकाने वाली बात कबूल की। कहा कि वह बिना किताब के हनुमान चालीसा भी नहीं पढ़ पाते। अपने बचाव में तर्क देते हुए कहा कि मैं बिना किताब के कुछ भी नहीं बोल पाता।

धीरेंद्र शास्त्री को प्राणनाथ बताने वाली शिवरंजनी भी पहुंची इसी दरबार में बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से विवाह का प्रस्ताव रखकर चर्चा में आईं शिवरंजनी तिवारी भी पिछले दिनों यहां पहुंची थीं। एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें शिवरंजनी ने सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में ऐलान किया कि वह जीवन भर सिद्धेश्वर धाम सरकार, आदर्श शास्त्री, से जुड़ी रहेंगी। उन्होंने कहा कि जब तक शरीर में प्राण रहेंगे, वह सिद्धेश्वर धाम सरकार के दर्शन के लिए पहुंचती रहेंगी।

इस ऐलान का वीडियो सामने आने के बाद कई लोग हैरान रह गए। कुछ समय पहले तक शिवरंजनी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपना ‘प्राणनाथ’ कहती थीं। इतना ही नहीं, बागेश्वर धाम तक पैदल यात्रा निकालने और मनोरथ पूर्ण करने की इच्छा भी उन्होंने व्यक्त की थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर शिवरंजनी ने अचानक अपने गुरु को क्यों बदला और किसी अन्य धाम से आस्था क्यों जोड़ ली।

शिवरंजनी ने कहा दरबार में कहा कि जब तक शरीर में प्राण रहेंगे, मैं सिद्धेश्वर धाम सरकार के दर्शन के लिए आती रहूंगी।

शिवरंजनी ने कहा दरबार में कहा कि जब तक शरीर में प्राण रहेंगे, मैं सिद्धेश्वर धाम सरकार के दर्शन के लिए आती रहूंगी।

गंभीर बीमारी, बावजूद लोगों ने डॉक्टर के पास जाना छोड़ा बाबा के चमत्कारिक दावों के चक्कर में कुछ लोग अपनी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज छोड़कर बाबा की भभूती पर भरोसा करने लगे हैं। इन दावों का असर इस हद तक हो चुका है कि कुछ मरीज डॉक्टरों के पास जाना छोड़कर दिव्य दरबार में आकर बाबा के चमत्कार का इंतजार करते हैं।

सिंगरौली से आई रीता सिंह की दाहिनी आंख में सफेद और काले मोतियाबिंद का गंभीर मामला था। रीता ने बताया कि डॉक्टरों ने सफेद मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया, लेकिन काले मोतियाबिंद का इलाज कराने की सलाह दी थी। इसके साथ ही दूसरी आंख की स्थिति को ठीक रखने के लिए उन्हें लेजर ऑपरेशन करवाना पड़ा। बावजूद इसके उन्हें आंखों में जलन और दिक्कत बनी हुई थी।

रीता ने आगे बताया, “डॉक्टर्स ने मुझे दोबारा बुलाया था, लेकिन मैंने उनकी सलाह नहीं मानी और अब मैं डॉक्टरों के पास जाने की बजाय बाबा के दिव्य दरबार में आने लगी हूं। बागेश्वर धाम में 17 बार गई, लेकिन भीड़ के कारण वहां अपनी अर्जी नहीं लगवा पाई। इसके बाद मैंने आदर्श शास्त्री की रील देखी और सोचा कि यहां आकर अपने इलाज की उम्मीद जता सकती हूं। अब एक साल से ज्यादा समय हो गया है, मैंने डॉक्टरों के पास जाना छोड़ दिया है और मुझे उम्मीद है कि मेरी आंख पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।”

पति शराब पीकर लड़ाई-झगड़ा करता है, इसलिए आई एक महिला शिल्पा यादव ने बताया, मेरा पति शराब पीकर मुझसे आए दिन लड़ाई-झगड़ा करता है, मारपीट करता है। इस वजह से मैं यहां आई हूं, ताकि उसकी आदतें ठीक हो सकें। मैं चाहती हूं कि वो सुधरे, हमारी बेटी की तबीयत भी अच्छी रहे। पिछले चार महीने से मैं यहां आ रही हूं, लेकिन अब तक मेरी अर्जी नहीं लग पाई।

मंदबुद्धि बेटे को बाबा ने ठीक होने का आशीर्वाद दिया इधर, सिहोरा से आई आरती तिवारी ने बताया, मेरा 24 साल का बेटा आकाश मंदबुद्धि है। मुझे उम्मीद है कि वो ठीक हो जाएगा। मैं पहली बार यहां आई और मेरी अर्जी पहली बार में ही लग गई। बाबा ने मुझे आशीर्वाद दिया है कि वह ठीक हो जाएगा। अब जब तक मेरा बेटा पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता, मैं दरबार में आती रहूंगी।

सामाजिक कार्यकर्ता बोले- लोगों को मूर्ख बनाना अपराध सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने कहा कि सोशल मीडिया के इस दौर में, जैसे असली ब्रांड्स के साथ नकली कॉपी भी मार्केट में आ गई हैं, वैसे ही धर्म के क्षेत्र में भी कुछ लोग पाखंड का सहारा लेकर चमत्कार की आड़ में लोगों की धार्मिक भावनाओं से खेल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हाल ही में बाबा आदर्श शास्त्री द्वारा किए गए चमत्कारों के दावों को सुनकर हम भी हैरान रह गए। बाबा ने दावा किया था कि उसने 65 प्रतिशत कैंसर मरीजों का इलाज किया है, और इसके अलावा कई अन्य असाध्य बीमारियों का भी इलाज अपने दरबार में किया। बाबा ने यह भी कहा कि जो इलाज डॉक्टर नहीं कर पाते, वह अपने दरबार में केवल पर्चा बनाकर कर देते हैं।

बीके माला ने आगे कहा, “बिना किसी धार्मिक ज्ञान के, मंत्रों, वेदों, शास्त्रों और पूजा पद्धतियों का अध्ययन किए, कुछ लोग खुद को परम ब्रह्म घोषित कर देते हैं और लोगों की पीड़ा दूर करने का दावा करते हैं, जो हिंदू धर्म को बदनाम कर रहा है। यह न केवल धार्मिक विश्वासों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि यह कानूनी अपराध भी है।”

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