अयोध्या3 मिनट पहले
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जिला प्रशासन ने संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए कड़ा कदम उठाया है। जिले में एक साल तक एक भी प्रसव नहीं कराने वाली चार आशा बहुओं की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। यह कार्रवाई मसौधा ब्लॉक के मोदहा, उसरू, तारुन के सराय रघुनाथ और हैदरगंज के मनऊपुर क्षेत्रों की आशा बहुओं के खिलाफ की गई है।
जिले में कुल 2,256 आशा बहुएं कार्यरत हैं, जिनका मुख्य दायित्व गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करना है। दिसंबर में आयोजित जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में सामने आया कि 289 आशा बहुओं ने एक माह में तीन से कम प्रसव कराए, जबकि 14 आशाओं ने एक भी प्रसव नहीं कराया। जांच में पाया गया कि कुछ आशा बहुएं गर्भवती महिलाओं को निजी स्वास्थ्य केंद्रों की ओर भेज रही हैं, वहीं कुछ अपने कार्य के प्रति उदासीन हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील कुमार बलियान ने बताया कि कम प्रसव कराने वाली अन्य आशा बहुओं की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। सभी आशा बहुओं के कार्यों की नियमित समीक्षा की जा रही है ताकि संस्थागत प्रसव की दर को बढ़ाया जा सके। क्योंकि लगातार संस्थागत प्रसव का ग्राफ गिरता जा रहा था। नियमित समीक्षा होती रहेगी तो ग्राफ भी नहीं गिरेगा और लोगों को इसका लाभ ही मिलेगा। इस समय सामुदायिक स्वास्थ्य केदो पर प्रश्नों के उचित प्रबंध भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराए गए हैं। प्रशासन का यह कदम जिले में सुरक्षित मातृत्व और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे गरीब परिवारों को अच्छा खासा लाभ मिलेगा।
