नकली पनीर बनाने की फैक्ट्री पर जांच करती खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम।
शादी-ब्याह के कार्यक्रमों में जाइए तो पनीर की सब्जी से दूर ही रहिए। मिलावटी पनीर धड़ल्ले से बाजार में उतारा जा रहा है। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने मंगलवार की रात पिपराइच क्षेत्र के बरईपुर गांव में छापेमारी कर नकली पनीर बनाने वाली एक फैक्ट्री को पकड़ा
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बॉयलर में यह घोल बनाया जाता था। घोल को गरम करने के बाद उससे पनीर फाड़ा जाता था। यानी बिना दूध के ही बड़े पैमाने पर पनीर तैयार कर रहे थे। यहां से मिले सैकरीन के पैकेट पर अखाद्य के साथ ही लौह पदार्थों की सफाई वाली सूचना दर्ज है। इससे पहले आइसक्रीम फैक्ट्री में यह पाउडर मिला था। नष्ट कराया गया ढाई क्विंटल पनीर, 800 लीटर घोल खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने ढाई क्विंटल पनीर और पनीर बनाने के लिए तैयार किया गया 800 लीटर घोल नष्ट कराया है। इस घोल को विभिन्न केमिकल मिलाकर तैयार किया गया था। इसी घोल के जरिए पनीर बनाया जा रहा था। उसे शुद्ध बताकर बाजार में बेचा जाता था। लगन का सीजन होने के कारण लोग धड़ल्ले से यह पनीर खरीद रहे थे। 150 से 180 रुपये किलो के हिसाब से हो रही थी बिक्री फैक्ट्री के संचालक खालिद की ओर से यह पनीर 150 से 180 रुपये प्रति किलो में बेचा जा रहा था। इसमें भी उसका भारी मुनाफा था। बाजार में यह पनीर 200 रुपये किलो से अधिक का बेचा जा रहा था। जबकि शुद्ध पनीर लगभग 380 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। गांव वालों के सहयोग से पकड़ा गया बड़ी मात्रा में पकड़ा गया पनीर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम मौके पर पहुंची तो शुरूआती जांच में बहुत कुछ नहीं मिला। तैयार पनीर को छिपाकर रखा गया था। गांव के लोगों ने भी टीम का सहयोग किया। काफी देर की मशक्कत के बाद ग्रामीणों के सहयोग से पनीर खोजकर निकाला गया। उसे तुरंत नष्ट करा दिया गया। इसके बाद टीम बॉयलर तक भी पहुंच गई, जहां दूध के घोल को नष्ट कराया गया। ग्रामीण पनीर बनाने के दौरान निकलने वाले केमिकल युक्त पानी के दुर्गंध से परेशान थे। इसीलिए कार्रवाई होते ही वहां जमा हो गए। हरियाणा से बुलाए गए थे कारीगर नकली पनीर बनाने का चलन हरियाणा में अधिक है। गोरखपुर में भी धीरे-धीरे यह गंदा धंधा अपने पांव पसार रहा है और लोगों की बीमारी बढ़ रही है। फैक्ट्री मालिक खालिद ने भी पनीर बनाने के लिए हरियाणा से कारीगरों को बुलाया था। वे ही यहां रहकर पनीर तैयार करते थे। इसमें मिलाया जाने वाला अधिकतर पदार्थ मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पूरे गोरखपुर का दूध मिलाकर बना सकेंगे केवल 150 क्विंटल पनीर ग्रामीण क्षेत्र में चल रही इस फैक्ट्री में रोज लगभग 35 क्विंटल पनीर बनाया जा रहा था। जबकि यदि पूरे गोरखपुर के दूध को मिला दें तो भी 150 क्विंटल पनीर ही बन पाएगा। एक अनुमान के मुताबिक गोरखपुर में लगभग 2 से ढाई लाख लीटर प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है। इसी दूध का इस्तेमाल घरों में होता है। पनीर के लिए इसका बहुत कम हिस्सा मिल पाता है। रोजाना 4 लाख रुपये के मिल्क पाउडर की खपत कितनी बड़ी मात्रा में नकली पनीर बनाया जाता था, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि मोहम्मद खालिद रोज 4 लाख रुपये का मिल्क पाउडर प्रयोग करता था। पहले यहां डेयरी खोली गई थी लेकिन सफलता नहीं मिली तो मिलावट का धंधा शुरू कर दिया गया। यहां बड़ी मशीन भी मिली है। पनीर बनाने के लिए तैयार घोल को चार से छह घंटे जलाया जाता था। इसके बाद स्वाद और सुगंध के लिए केमिकल डाले जाते थे। जिस गाड़ी से पनीर जाता, उसी से आता मिलावट का सामान खालिद अधिकतर माल महराजगंज, कुशीनगर व देवरिया में खपाता था। गोरखपुर के खोवामंडी मे ंभी कुछ माल आने की चर्चा है। गाड़ियों में भरकर रात में पनीर आर्डर वाले स्थानों पर भेज दिया जाता था। वापसी में उन्हीं गाड़ियों से मिलावट का सामान लाया जाता था। 2 मई को भी हुई थी कार्रवाई 2 मई को भी अंतर जनपदीय खाद्य सुरक्षा की टीम ने कार्रवाई की थी। उस समय खालिद ने फैक्ट्री पर अनमोल नाम लिखा था। लेकिन बाद में उसे हटा लिया। उस समय भी बड़े पैमाने पर पनीर नष्ट कराया गया था। टिन के कटे डिब्बे में पनीर रखा गया था। उसमें बड़ी संख्या में मक्खियां परी पड़ी थीं। ‘रेड’ स्टाइल में छापेमारी आयकर छापे पर बनी ‘रेड’ और ‘रेड 2’ मूवी की तरह यहां भी छापा मारा गया। खाद्य सुरक्षा विभाग के 16 अधिकारियों को यह नहीं पता था कि उन्हें कहां कार्रवाई के लिए जाना है। सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने इस कार्रवाई को गोपनीय रखा था। उन्होंने सभी अधिकारियों को बुलाया और वाहन से अपने टारगेट पर चल दिए। जांच के दौरान जब इतने बड़े पैमाने पर मिलावटी पनीर मिला तो सभी दंग रह गए।
जानिए क्या कहते हैं अधिकारी छापा मारने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि नकली पनीर बनाने की फैक्ट्री के बारे में सूचना मिली थी। टीम वहां पहुंची और जांच की गई। मौके पर मिले ढाई क्विंटल नकली पनीर को नष्ट करा दिया गया। बॉयलर में रखा 800 लीटर सफेद घोल भी नष्ट कराया गया। वहां से डिटर्जेंट, फैब्रिक वाइटनर, पोस्टर कलर, रिफाइन आदि मिला है। 55 प्रतिशत नमूने हुए थे फेल सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में 3100 दुकानों का निरीक्षण किया गया जहां से 721 नमूने लिए गए, 666 रिपोर्ट प्राप्त हुई है 55 प्रतिशत नमूने फेल निकले। 38 मामले असुरक्षित पाए गए हैं शेष अधोमानक या नियमों का उल्लंघन, हाइजीनिक कंडीशन में पाए गए हैं जिसके लिए अपर जिलाधिकारी कोर्ट और एसीजीएम कोर्ट में वाद दायर किया गया है। ये खाद्य पदार्थ मिले असुरक्षित बेसन, चाय की पत्ती,खोवा,घी, मसाले, हल्दी, मिर्च जैसी रोजमर्रा की चीजें असुरक्षित मिलीं। जिसमें गंभीर मिलावट पाए गए। प्रिपेयर फूड बिरयानी और कुछ अधोमानक जैसे दूध में पानी का मिलावट, चने की दाल में मटर की दाल का मिला होना पाया गया है। विभाग की ओर से बार-बार मिलावट करने वालों के पोस्टर चौराहों पर चिपकाने की योजना है। मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में इस बात के निर्देश दिए थे।