संत तुकाराम के जीवन पर आधारित फिल्म ‘संत तुकाराम’ 18 जुलाई को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म का निर्देशन एक्टर डायरेक्टर आदित्य ओम ने किया है। यह फिल्म छत्रपति शिवाजी के समकालीन संत तुकाराम के जीवन और उनके सामाजिक संदेशों पर आधारित ह
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फिल्म में दिखाया गया है कि तुकाराम ने अपने कीर्तन और अभंगों के माध्यम से समाज के वंचित वर्गों को आत्मबल दिया और भक्ति का अधिकार सभी को समान रूप से बताया।
आदित्य ओम ने बताया कि फिल्म में तुकाराम को सिर्फ संत नहीं, बल्कि एक सामाजिक सुधारक और जननायक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। फिल्म का ट्रेलर जयपुर में राजस्थान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के फिल्म सेल की ओर से लॉन्च किया गया था।
दलित वैष्णव परंपरा का प्रतिनिधि चेहरा
तुकाराम को दलित वैष्णव परंपरा का प्रतिनिधि चेहरा माना जाता है। उनके उपदेशों ने समाज के हाशिये पर खड़े समुदाय को यह विश्वास दिया कि वे भी ईश्वर के उतने ही प्रिय हैं जितना कोई ब्राह्मण या धनी व्यक्ति। फिल्म इस भावना को बारीकी से पकड़ती है और वर्तमान सामाजिक संदर्भ में पेश करती है।
आदित्य ओम ने की संवेदनशील प्रस्तुति
फिल्म का निर्देशन करने वाले आदित्य ओम ने इससे पहले भी कई सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाई हैं। उन्होंने बताया- यह सिर्फ आध्यात्मिक फिल्म नहीं है, बल्कि एक ऐसा दस्तावेज है जो बताता है कि भक्ति किस तरह समाज में बराबरी का पुल बना सकती है। हमने कोशिश की है कि फिल्म के ज़रिए संत तुकाराम की प्रासंगिकता आज के समय में भी सामने आए।
फिल्म अब राजस्थान के कई शहरों के मल्टीप्लेक्स और सिनेमाघरों में लग चुकी है।