Delhi Water Pollution; Supreme Court Justice | Vikram Nath | SC जस्टिस नाथ बोले-नदियों की हालत देख चिंता होती है: दिल्ली पॉल्यूशन पर कहा- बच्चे बाहर खेलने के लिए भी मास्क लगाएं, ये मंजूर नहीं

Actionpunjab
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नई दिल्ली1 मिनट पहले

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पर्यावरण पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन- 2025 के उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी रहीं। - Dainik Bhaskar

पर्यावरण पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन- 2025 के उद्घाटन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी रहीं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि देश की नदियां देखकर चिंता होती है। वे गंदगी से भरी पड़ी हैं। मैं जब इन नदियों के किनारों को देखता हूं, तो मुझे पुरानी बातें याद आती हैं। ये पानी कभी कितना जीवंत और शुद्ध था। हम इनका गौरव बचाने में असमर्थ हैं, ये चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा- दिल्ली में पॉल्यूशन का लेवल हररोज हाई होता है। मैं सोचता हूं कि हम सभी मानना है कि हमारे बच्चों का ऐसे वातावरण में बड़ा होना कतई मंजूर नहीं, जहां उन्हें बाहर खेलने के लिए भी मास्क की जरूरत, कम उम्र में सांस संबंधी बीमारियों की चिंता हो।

शनिवार को जस्टिस नाथ दिल्ली में विज्ञान भवन में पर्यावरण पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन – 2025 के उद्घाटन कार्यक्रम में पहुंचे थे। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी थीं। कार्यक्रम में देश के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी भी मौजूद थे।

जस्टिस नाथ के संबोधन की प्रमुख बातें…

  • हमें ऐसे समाधान तलाशने की जरूरत है जो आर्थिक विकास और पर्यावरण की भलाई के बीच संतुलन बनाए रखें। सरकारी नीतियों को ग्रीन टेक्नॉलोजिस पर फोकस करना चाहिए।
  • हमें एमिशन को रेग्यूलेट करने, क्लीन टेक्नॉलोजिस में इंवेस्ट करने और सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट ऑप्शन के लिए साथ आना चाहिए। जिससे हमें सांस लेने वाली हवा से समझौता नहीं करना पड़े और आर्थिक प्रगति हो।
  • मैं जब इन नदियों के किनारों को देखता हूं, तो मुझे पुरानी बातें याद आती हैं चिंता होती है। ये पानी कभी कितना जीवंत और शुद्ध था। हम उन्हें उनकी नेचुरल प्राइड में कंजर्व करने में असमर्थ हैं। ये चिंता का विषय है।
  • इंडस्ट्रियल वेस्ट का ट्रीटमेंट करना, सीवेज के बुनियादी ढांचे को बढ़ाना और लोकल समुदायों को नदी पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है।
  • हरित निकाय 2010 में अपनी स्थापना के बाद से आशा की किरण के रूप में उभरा है। पर्यावरणीय विवादों के समाधान को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • सरकार को ग्रीन टेक्नॉलोजिस को प्रोत्साहित करना चाहिए। इंडस्ट्रीज को अपने एनवायॅरन्मेंट फुट मार्क्स को लेकर सावधान रहना चाहिए।
  • न्यायपालिका स्वस्थ पर्यावरण की संवैधानिक गारंटी को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कोई भी संस्था अकेले पर्यावरण संरक्षण के विशाल कार्य को पूरा नहीं कर सकती।

अटॉर्नी जनरल बोले- पर्यावरण कानूनों को फिर से डिजाइन करने की जरूरत

कार्यक्रम में पहुंचे देश के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी बोले- ​​​​​पर्यावरण कानूनों के ढांचे को फिर से डिजाइन करने की आवश्यकता है। पारंपरिक ढांचा जहां नागरिकों की भागीदारी और सहभागिता बड़े पैमाने पर होती है वो नदारद है। इस पर चर्चा करना होगा

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