AFSPA extended by 6 months in 3 states of North-East | मणिपुर समेत 3 राज्यों में AFSPA 6 महीने बढ़ा: हिंसा और अशांति के चलते गृह मंत्रालय का फैसला, सेना कभी भी किसी को हिरासत में ले सकेगी

Actionpunjab
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नई दिल्ली10 मिनट पहले

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AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। - Dainik Bhaskar

AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं।

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी।

गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया। मणिपुर के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र को छोड़कर बाकी पूरे राज्य में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक AFSPA लागू रहेगा।

इससे पहले सितंबर 2024 में मणिपुर के 6 जिलों में छह महीने के लिए AFSPA लागू किया गया था। यह इसी साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा था, लेकिन राज्य में जारी हिंसा के चलते अब यह फैसला लिया गया है।

नगालैंड और अरुणाचल के कुछ इलाकों में अशांति के कारण AFSPA लागू अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक AFSPA लागू रहेगा।

वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थाना क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए AFSPA बढ़ा दिया गया है।

AFSPA में बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए मणिपुर में मई 2023 से जारी जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। हिंसा मणिपुर के इम्फाल घाटी के मैतेई समुदाय और पहाड़ी क्षेत्रों के कुकी-जो समुदायों के बीच हो रही है। जिरिबाम पहले इंफाल घाटी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई हिंसा से काफी हद तक बचा हुआ था, लेकिन जून 2023 में यहां एक किसान का बुरी तरह विकृत शव मिला। इसके बाद यहां भी हिंसा हुई।

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