Buddha Purnima on 12th May, story of gautam buddha, inspirational story of buddha, gautam buddha story in hindi | 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा: गौतम बुद्ध की सीख – जब मन अशांत हो तो धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए, मन शांत होने की प्रतिक्षा जरूर करें

Actionpunjab
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10 घंटे पहले

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कभी-कभी जीवन में हमें ऐसे मोड़ मिलते हैं, जहां रास्ता साफ दिखना बंद हो जाता है। समाधान जो पहले स्पष्ट था, वह धुंधला और उलझा हुआ लगता है। ऐसी स्थिति के लिए गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद को एक घटना के माध्यम से धैर्य का महत्व समझाया था।

गौतम बुद्ध और आनंद एक दिन किसी जंगल से गुजर रहे थे। गर्मी और थकान से परेशान होकर बुद्ध को प्यास लगी। बुद्ध ने आनंद से कहा कि पास ही एक झरना है, वहां से पानी ले आएं। आनंद झरने के पास पहुंचे, लेकिन वहां की स्थिति कुछ और ही थी, एक बैलगाड़ी झरने से होकर निकली थी, जिससे पानी मटमैला और गंदा हो गया था। निराश होकर आनंद लौट आए और बुद्ध को बताया कि पानी पीने योग्य नहीं है।

बुद्ध मुस्कुराए और बोले, “तुम वहां वापस जाओ और कुछ देर किनारे पर बैठ जाओ।” आनंद ने गुरु की बात मानी और झरने के पास जाकर शांत होकर बैठ गए। थोड़ी ही देर में गंदगी नीचे बैठने लगी और पानी साफ दिखने लगा। आनंद ने साफ पानी भरा और बुद्ध के पास लौट आए।

बुद्ध ने बड़े ही शांत स्वर में कहा, “जीवन में भी कई बार ऐसा होता है जब परिस्थितियां इतनी गड़बड़ हो जाती हैं कि हमें कुछ समझ नहीं आता। उस समय अगर हम भी परेशान हो जाएं और प्रतिक्रिया देने लगें तो चीजें और बिगड़ती हैं। लेकिन अगर हम शांत रहें, धैर्य रखें, तो समय के साथ परिस्थितियां साफ होने लगती हैं और हम सही निर्णय ले पाते हैं, सकारात्मक भाव के साथ आगे बढ़ते हैं।”

मन का जब अशांत होता है…

यह कथा सिर्फ झरने की कहानी नहीं, बल्कि हमारे मन की स्थिति का प्रतीक है। जब जीवन में कोई परेशानी आती है, तो हमारा मन भी उस गंदे पानी की तरह अस्थिर हो जाता है। चिंता, डर और क्रोध का गुबार हमारे सोचने की शक्ति को धुंधला कर देता है। ऐसे में सबसे बड़ी आवश्यकता होती है – धैर्य की।

मेडिटेशन और आत्मनिरीक्षण की विधियां हमें यह सिखाती हैं कि विपरीत समय में प्रतिक्रिया देने की बजाय, अगर हम सिर्फ रुक जाएं, देखें, और धैर्य रखें, तो समाधान खुद-ब-खुद स्पष्ट हो जाता है।

गौतम बुद्ध की सीख:

धैर्य एक मानसिक शक्ति है, जो समय के साथ स्थिति को बेहतर बना सकती है। जिस तरह शांत जल में अपनी परछाई साफ दिखती है, वैसे ही शांत मन में समाधान स्वतः प्रकट होता है। बुरे समय में घबराने की बजाय ठहरना और खुद को संभालना ही बुद्धिमानी है।

बुद्ध की यह छोटी सी कथा हमें सिखाती है कि जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियां भी धैर्य और शांति से हल की जा सकती हैं। क्योंकि जब मन बैठ जाता है, तब समाधान उभर आता है।

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