यह तस्वीर नितेश सिंह बबलू की है, 30 सितंबर 2019 को सदर तहसील में इसकी हत्या कर दी गई।
वाराणसी के 6 साल पुराने नितेश सिंह बबलू हत्याकांड की जांच में CBCID जांच करेगी, सत्ता दल के नेताओं पर आकर रुकी जांच अब जल्द पूरी की जाएगी। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की अदालत ने इस बहुचर्चित हत्याकांड में CBCID के ASP को अग्रिम विवेचना का आद
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हाईकोर्ट ने पहले ही सीबीसीआईडी को जांच अधिकारी नियुक्त कर विवेचना पूरी करने का आदेश 2022 में दिया था। मृतक के भाई अकलेश कुमार सिंह द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट के जज ने आदेश दिया और जल्द रिपोर्ट तलब की। वकील अजय सिंह ने पीड़ित परिवार की ओर से अदालत में पैरवी की।
माना गया था कि पूर्वांचल की राजनीति और आपराधिक गठजोड़ के बीच चर्चित नितेश सिंह की हत्या हुई थी। पहले आपको बताते हैं कि नितेश सिंह बबलू कौन था…? पूर्वांचल के सत्ता पक्ष के सफेदपोशों ने कैसे साजिश रच कर दिनदहाड़े वाराणसी की सदर तहसील में नितेश सिंह बबलू की हत्या की…? जांच की जद में अब कौन-कौन आएगा…?

30 सितंबर 2019 की दोपहर सदर तहसील में नितेश की हत्या कर दी गई थी।
दिनदहाड़े सदर तहसील परिसर में हुई थी हत्या
ठेकेदारी करने वाले नितेश सिंह बबलू का घर सारनाथ क्षेत्र के मवइयां में है। नितेश सारनाथ थाने का हिस्ट्रीशीटर भी था। 30 सितंबर 2019 की दोपहर लाइसेंसी असलहे से लैस नितेश सदर तहसील में अपनी बुलेट प्रूफ गाड़ी में बैठने जा रहा था तभी उस पर अंधाधुंध फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी गई थी।
पुलिस ने प्रारंभिक छानबीन में यह स्पष्ट कर दिया था कि वारदात को अंजाम देने में शूटर गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ डॉक्टर और उसके साथी बदमाशों की अहम भूमिका रही है। मगर, जौनपुर, चंदौली और वाराणसी के सत्ता पक्ष के सफेदपोशों के प्रभाव में गिरधारी की ओर पुलिस ने ध्यान ही नहीं दिया।
लगभग 6 माह बाद गिरधारी का नाम वारदात में प्रकाश में आया। 11 जनवरी 2021 को गिरधारी नाटकीय तरीके से दिल्ली में गिरफ्तार हुआ। 14 फरवरी 2021 की रात लखनऊ में पुलिस कस्टडी से भागने के दौरान मुठभेड़ में गिरधारी मारा गया।

कार में बैठते ही हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलाई, छह गोलियां लगने के बाद उनकी मौत हो गई थी।
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद हुआ था मनमुटाव
9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड के बाद जौनपुर के एक पूर्व सांसद और लखनऊ में रहने वाले गाजीपुर के एक रसूखदार के बीच अनबन हो गई थी। शुरू से ही रसूखदारों की संगत में रहने वाले नितेश सिंह बबलू ने मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद लखनऊ में रहने वाले रसूखदार से अपनी करीबी बढ़ा ली।
नितेश सिंह बबलू हत्याकांड की जांच में शामिल रहे पुलिस कर्मियों के अनुसार, जौनपुर के पूर्व सांसद को यह अच्छा नहीं लगा कि नितेश अब लखनऊ में रहने वाला रसूखदार के करीब हो गया है। इस पर पूर्व सांसद ने चंदौली जिले के एक विधायक को राजनीतिक संरक्षण के लिए साथ लिया। इसके साथ ही वर्चस्व की लड़ाई में नितेश सिंह बबलू की हत्या की गई।
शहर में शूटरों ने 7 दिन की थी रेकी
नितेश सिंह बबलू की हत्या करने वाले शूटरों को जौनपुर के पूर्व सांसद ने शिवपुर क्षेत्र निवासी अपने एक करीबी के यहां ठहाराया था। जिसके फ्लैट में गिरधारी सहित अन्य शूटर ठहरे हुए थे, उसकी भी पूर्वांचल से लेकर लखनऊ तक अच्छी हनक है। शूटरों ने सात दिन तक शहर में नितेश सिंह बबलू के मूवमेंट की रेकी की थी। 30 सितंबर 2019 को सदर तहसील में उचित जगह और ठीक समय देख कर नितेश सिंह बबलू पर ऐसे ताबड़तोड़ गोली बरसाई गई कि उसे अपना लाइसेंसी असलहा निकालने तक का मौका भी नहीं मिल पाया था।
पूर्व सांसद और विधायक से होगी पूछताछ
नितेश हत्याकांड की जांच पूरी करने के लिए CBCID को आदेश आते ही एक बार फिर पूर्वांचल के सफेदपोशों और रसूखदारों के बीच सरगर्मी बढ़ गई है। वादी पक्ष ने हाईकोर्ट में कहा है कि इस वारदात में जौनपुर, चंदौली और वाराणसी के प्रभावशाली और सत्ता पक्ष से जुड़े लोगों का हाथ है, वह जांच को प्रभावित कर रहे हैं। इसी वजह से पुलिस निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं कर रही है। कानून के जानकारों का कहना है कि जौनपुर के पूर्व सांसद और चंदौली जिले के विधायक की मुश्किलें अब बढ़ेंगीं। पूछताछ के दायरे में वह दोनों भी आएंगे। साथ ही, साक्ष्य के आधार पर दोनों कार्रवाई की जद में भी आ सकते हैं।