Ahmedabad plane crash: Six blind spots in the investigation | अहमदाबाद विमान हादसा, जांच में छह ब्लाइंड स्पॉट्स: फ्यूल स्विच कैसे बंद हुआ, पायलटों के बीच आखिरी बातचीत की टाइमिंग बदल सकती है थ्योरी

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नई दिल्ली58 मिनट पहलेलेखक: एम. रियाज हाशमी

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12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही बोइंग 787-8 फ्लाइट टेकऑफ के 32 सेकेंड बाद क्रैश हो गई थी। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी। - Dainik Bhaskar

12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही बोइंग 787-8 फ्लाइट टेकऑफ के 32 सेकेंड बाद क्रैश हो गई थी। इसमें 270 लोगों की मौत हो गई थी।

अहमदाबाद में 12 जून को टेकऑफ के महज 32 सेकेंड के भीतर क्रैश हुई एअर इंडिया की फ्लाइट बोइंग AI-171 की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भले सार्वजनिक हो चुकी हो, लेकिन इसके नतीजों ने कई तीखे सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में विमानन दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) अपनी अंतिम रिपोर्ट को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है।

सूत्रों के अनुसार, जांच अब 6 ऐसे तकनीकी और प्रक्रियात्मक बिंदुओं पर केंद्रित की गई है, जिनमें कोई भी एक फैक्टर पूरे हादसे की प्रकृति बदल सकता है। दरअसल, शुरुआती रिपोर्ट में दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में जाने को हादसे की मुख्य वजह माना गया है।

मगर रिपोर्ट यह खुलासा नहीं करती कि ये स्विच पायलट ने घुमाए या किसी इलेक्ट्रोमैकेनिकल फेल्योर की वजह से ऐसा हुआ। अगर पायलट ने स्विच घुमाया होगा तो कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) में दोनों पायलटों के बीच बातचीत रिकॉर्ड हुई होगी।

यही वो सवाल है, जिसने जांच को छह ‘ब्लाइंड स्पॉट्स’ की ओर मोड़ दिया है। AAIB सूत्रों के अनुसार, इन छह ब्लाइंड स्पॉट्स में से हर एक का डेटा-कलेक्शन, विश्लेषण और क्रॉस-सिंक्रोनाइजेशन अंतिम रिपोर्ट का आधार बनेगा। 12 जून को प्लेन क्रैश में 270 लोगों की मौत हो गई थी।

तस्वीर में बाईं तरफ एअर इंडिया की फ्लाइट का फ्यूल कंट्रोल स्विच है, जो क्रैश साइट पर मिला था। फ्यूल कंट्रोल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं।

तस्वीर में बाईं तरफ एअर इंडिया की फ्लाइट का फ्यूल कंट्रोल स्विच है, जो क्रैश साइट पर मिला था। फ्यूल कंट्रोल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं।

वो 6 ब्लाइंड स्पॉट्स, जिससे हादसे की वजह पता चल सकती है-

1. फ्यूल स्विच: ​कटऑफ की कमांड आखिर कैसे दी गई? फ्यूल देना (रन) या बंद करना (कटऑफ), इसके लिए TCB (थ्रोटल कंट्रोल बॉक्स) यूनिट का डुप्लीकेट टेस्ट कराया जा सकता है, ताकि पता चले कि कटऑफ कमांड इलेक्ट्रॉनिक गड़बड़ी का नतीजा थी या पायलट का इनपुट?

2. पायलटों के आखिरी संवाद की टाइमलाइन जांचनी होगी CVR में दर्ज कम्यूनिकेशन से पता चला है कि पायलट के बीच फ्यूल स्विच को लेकर बातचीत हुई थी। एक पायलट ने पूछा था कि ‘आपने फ्यूल क्यों बंद किया?’ दूसरे ने कहा- ‘मैंने नहीं किया’। इसे समझने के लिए CVR, FDR (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) की टाइमलाइन समान होना जरूरी है। ताकि पता चले कि यह

3. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में स्विच की आवाज है या नहीं? फ्यूल कंट्रोल स्विच घुमाने पर एक क्लिकिंग की आवाज आती है, जो CVR (कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर) के एरिया माइक में दर्ज हो जाती है। अगर आवाज रिकॉर्ड नहीं हुई, तो इससे पता चलता है कि यह मैनुअली नहीं किया गया है।

4. FAA की एडवाइजरी का पालन किया गया था या नहीं? फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने 2018 में फ्यूल स्विच लॉकिंग मैकेनिज्म पर एडवाइजरी दी थी। जांच एजेंसी ने मेंटेनेंस रिकॉर्ड्स, सर्विस बुलेटिन लॉग्स, डीजीसीए से क्लीयरेंस कॉपी मांगी है। इसे नजरअंदाज करना गंभीर संचालन लापरवाही में आएगा।

5. इंजन के वॉल्व कब खुले व बंद हुए, यह भी जांचना होगा इंजन में वॉल्व कब खुले-बंद हुए, किस सेंसर ने क्या संकेत दिया। प्रारंभिक रिपोर्ट में इसका कोई जिक्र नहीं है। सूत्र बताते हैं कि एएआईबी ने जीई व बोइंग से इन चैनलों का रॉ डेटा मांगा है। इन्हें विश्लेषण के लिए बेंगलुरु भेजेंगे।

6. SOP के तहत पायलट की प्रतिक्रिया व्यावहारिक थी? क्या स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेड्यूर (SOP) के अनुसार, 32 सेकेंड में किसी इंजन को फिर से स्टार्ट करने का प्रयास किया जाना चाहिए था? या इतनी कम विंडो में यह असंभव था? इसके लिए सिमुलेटेड कॉकपिट रीक्रिएशन (सिम चेक) कराया जाएगा।

पायलट एसोसिएशन बोला- जल्दबाजी में कोई नतीजा न निकाला जाए अंतरराष्ट्रीय पायलट संगठन (IFALPA) ने अहमदाबाद विमान हादसे पर कहा है कि अभी जांच शुरूआती दौर में है, इसलिए मीडिया या सोशल मीडिया में जल्दबाजी में कोई नतीजा निकालना सही नहीं है।

IFALPA ने कहा कि पीड़ितों (पायलट, क्रू मेंबर्स और यात्रियों के परिवार) के साथ सम्मान और पेशेवर तरीके से पेश आना चाहिए। यह रिपोर्ट 30 दिनों के अंदर बनाई गई है, जैसा कि नियमों में कहा गया है। रिपोर्ट में कई सवाल उठे हैं, लेकिन अभी जवाब नहीं मिले हैं।

हादसे से सबक, कॉकपिट की वीडियो रिकॉर्डिंग पर भी विचार हो रहा अभी CVR-FDR में पायलट की बॉडी लैंग्वेज, हैंड जेस्चर या को-पायलट के रिएक्शन का वीडियो रिकॉर्ड नहीं होता। इसलिए नेक्स्ट जेनरेशन ब्लैक बॉक्स तकनीक पर विचार हो रहा है। इसमें कॉकपिट का वीडियो भी रिकॉर्ड हो सकता है।

इसके अलावा, क्लाउड बैकअप सिस्टम होगा, ताकि ब्लैक बॉक्स क्षतिग्रस्त होने पर भी डेटा ऑनलाइन सुरक्षित रहे। खुद गड़बड़ी पहचानकर अलर्ट भेजने के लिए एआई बेस्ड चेतावनी सिस्टम होगा।

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